मौनी अमावस्या 2020: जानिए, कब है मौनी अमावस्या? इस दिन क्यों रहा जाता है मौन?

Indian Astrology | 17-Jan-2020

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माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2020) या माघ अमावस्या (Magh Amavasya) कहा जाता है। यह अमावस्या दुख दूर करने और आत्म संयम की शक्ति प्रदान करने वाली मानी गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मौन धारण कर व्रत करने का विशेष महत्व है। क्योंकि माघ मास को हिंदू पंचाग के कार्तिक मास की तरह ही पुण्य मास कहा गया है इसलिए माघ अमावस्या के दिन स्नान व दान करने से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस बार कब है मौनी अमावस्या (mauni Amavasya kab hai)? कैसे रखा जाता है यह व्रत? जानें इसकी पूजा विधि और महत्व के बारे में…

मौनी अमावस्या 2020: तिथि व शुभ मुहूर्त

इस बार मौनी अमावस्या व्रत शुक्रवार 24 जनवरी को रखा जाएगा। इसका शुभ महुर्त और महत्वपूर्ण तिथियां निम्न हैं:

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: रात के 11: 47 बजे (जनवरी 23, 2020)
  • अमावस्या तिथि समाप्त: सुबह 12: 41 बजे (जनवरी 25, 2020)

पौराणिक संदर्भ

माघ अमावस्या का उल्लेख हमें कई धर्मग्रंथों में मिलता है। इस संदर्भ में सागर मंथन की कथा बेहद प्रचलित है। भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण में यह कथा मिलती है।

इस कथा के अनुसार जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरी अमृत कलश लेकर प्रकट होते हैं तो देवताओं और असुरों में इस कलश को पाने के लिए खींचा-तानी शुरु हो गई। इस खींचा-तानी में कलश से अमृत की कुछ बूंदें इलाहबाद, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में जा गिरीं जिससे इन नदियों का जल पवित्र हो गया। यही कारण है कि इन तीर्थस्थलों की नदियों में स्नान करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों में माघ अमावस्या के दिन को इसके लिए बेहद शुभ बताया गया है। यह तिथि अगर सोमवार को पड़ती है तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है और इसे सोमवती कहा जाता है। यदि इस दिन महाकुंभ मेला लगा हो तो पुण्यफल कई गुणा अधिक हो जाता है।

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी शब्द मौन या मुनि से निकला है। इस दिन मौन व्रत रखने, पवित्र नदियों में स्नान, दानादि करने का विधान है। धर्मग्रंथों के अनुसार इस प्रकार जो आचरण करता है उसे मुनि कहा जाता है।

शास्त्रों में माघ मास की अमावस्या को पुण्य फल की प्राप्ति के लिए बेहद शुभ दिन बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है-

“सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से, लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में पुण्यदायी होगा।”

शास्त्रों में इस तिथि (मौनी अमावस्या) को पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, धन, वस्त्रादि दान करने की सलाह दी गई है। ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

इसके अलावा इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह कहा गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं होते जिससे मन स्थिर नहीं रहता। इसलिए इस दिन मन को संयम में रखने के लिए मौन व्रत रखने की सलाह दी गई है।

मौनी अमावस्या के दिन क्यों रहा जाता है मौन?

मौन कई तरह के हो सकते हैं। भय से उत्पन्न मौन कायरता है जबकि संयम से उत्पन्न मौन साधुता है। मौन मन को मार भी सकता है और उसे तेज़ भी बना सकता है। मौन रहने का असर क्या होगा यह मौन के आचरण पर निर्भर करता है।

मौनी अमावस्या के दिन ठीक उसी तरह मौन धारण किया जाता है जिस तरह पुराने समय में ऋषि-मुनि मौन रहकर तपस्या करते थे और भगवान को याद किया करते थे।

ऐसी मान्यता है कि मौन रहने से मन शांत रहता है और बुरे ख्याल दूर रहते हैं। इससे आपकी अंतरशक्ति बढ़ती है और आप सही फैसले लेते हैं। मौन से ही आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत होती है। मौन के द्वारा ही आप जीवन की गहराइयों को समझ पाते हैं।

मौन रहकर आप प्रकृति के करीब पहुंच जाते हैं। प्रकृति की हर चीज़ मौन है लेकिन फिर भी गतिशील है। ठीक उसी प्रकार आप मौन रहकर गतिशील रहते हैं और प्रगति करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करने से न केवल आपको बल्कि आपके पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।

लेकिन आजकल साधारण जीवन जीने के लिए भी बहुत अधिक बोलना पड़ता है। इसलिए अगर पूरे दिन मौन रहना संभव न हो तो जितना हो सके अपनी वाणी पर संयम रखें। किसी के बारे में बुरा-भला, कोई कटु शब्द न बोलें, इस परिस्थिति में भी यह व्रत पूरा माना जाएगा।

मौनी अमावस्या पूजन विधि और मंत्र (mauni Amavasya pujan vidhi, mantra)

  • मौनी अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करें। यदि प्रयागराज जाना संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें। स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप करें:
  • गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
    नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

  • स्नान करने के बाद मौन व्रत का संकल्प लें और मन ही मन भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पीले फूल की माला चढ़ाएं और केसर-चंदन का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद प्रतिमा के सामने देसी घी का दीपक जलाएं।
  • पूर्व दिशा की ओर पीला आसन बिछाकर बैठ जाएं और हल्दी की माला से निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
  • इसके बाद विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। ध्यान रहे यह पाठ आपको मन ही मन मौन रहकर करना है।
  • पूजा संपन्न करने के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएँ। उन्हें अन्न, वस्त्र, धन आदि वस्तुएं दान करें।
  • शाम को भगवान विष्णु की आरती कर उन्हें पीले मीठे पकवान का भोग लगाएं। गौ माता को मीठी रोटी और हरा चारा खिलाएँ। उसके बाद ही व्रत खोलें।
  • इसके अलावा इस दिन तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
  • पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस दिन पितृदोष पूजा करवाएं।
  • अगर आप गृह क्लेश और आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो मौनी अमावस्या के दिन दुर्गा पूजा करवाएं।

इस बार मौनी अमावस्या के दिन शनि अपनी स्व राशि मकर में गोचर करेंगे इसलिए इस दौरान आपको और अधिक एहतियात बरतनी होगी। इस दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना है, जानने के लिए हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी से बात करें।