आकस्मिक धन प्राप्ति के योग व उपाय
Indian Astrology | 24-Mar-2020
Views: 17353हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसे कहीं से अचानक बड़ा धन-लाभ हो, चाहे वह किसी भी प्रकार से हो। इस अचानक लाभ के लिए व्यक्ति अपनी जमापूँजी को भी लॉटरी, रेस, सट्टा आदि में लगा देते हैं। इस तरह अपनी मेहनत से कमाई हुई धन-दौलत को बर्बाद करना सर्वथा अनुचित है। यह भी जान लेना जरूरी है कि वास्तव में आपके भाग्य में आकस्मिक धन-लाभ प्राप्त होना है या नहीं।
आकस्मिक धन प्राप्ति के कई कारण हो सकते हैं, जैसे इनाम, भेंट, वसीयत, रेस-लॉटरी, भू-गर्भ धन, स्कॉलरशिप आदि से प्राप्त धन है, कुंडली में पंचम स्थान से इनाम, लॉटरी, स्कॉलरशिप आदि का विचार किया जाता है, जबकि अष्टम भाव गुप्त भू-गर्भ, वसीयत, अनसोचा या अकल्पित धन दर्शाता है, धन संपत्ति प्रारब्ध में होती है, तब ही व्यक्ति उसे प्राप्त कर सकता है, भाग्यशाली लोगों को ही बिना परिश्रम के अचानक धन प्राप्त होता है, इसलिए कुंडली में नवम भाग्य भाव त्रिकोण का भी विशेष महत्व है, इस प्रकार अचानक आकस्मिक धन-संपत्ति प्राप्ति के लिए कुंडली में द्वितीय धनभाव, एकादश लाभभाव, पंचम प्रारब्ध एवं लक्ष्मी भाव, अष्टम गुप्तधन भाव तथा नवम भाग्य भाव एवं इनके अधिपति तथा इन भावों में स्थित ग्रहों के बलाबल के आधार पर संभव है। नवम भाव, नवमेश भाग्येश, राहु केतु तथा बुध ये सब ग्रह भी शीघ्र अचानक तथा दैवयोग द्वारा फल देते हैं।
धन प्राप्ति में लग्न का भी अपना विशेष महत्व होता है। लग्नाधिपति तथा लग्न कारक की दृष्टि के कारण अथवा इनके योग से धन की बढ़ोत्तरी होती है। महर्षि पराशर के अनुसार जैसे भगवान विष्णु के अवतरण के समय पर उनकी शक्ति लक्ष्मी उनसे मिलती है तो संसार में उपकार की सृष्टि होती है। उसी प्रकार जब केन्द्रों के स्वामी त्रिकोणों के भावाधिपतियों से संबंध बनाते हैं तो प्रबल धन योग बनाते हैं। यदि केन्द्र का स्वामी, त्रिकोण का स्वामी भी है, जिसे ज्योतिषीय भाषा में राजयोग भी कहते हैं।
यह ग्रह अपनी दशा-अंतर्दशा में निश्चित रूप से धन, पदवी तथा मान-सम्मान में वृद्धि करने वाले होते हैं। पराशरीय नियम, यह भी है कि त्रिकोणाधिपति सर्वदा धन के संबंध में शुभ फल करता है, क्योंकि त्रिकोण स्थान को लक्ष्मी स्थान भी कहते हैं| इन स्थानों में चाहे, नैसर्गिक पापी ग्रह शनि या मंगल ही क्यों न हो वो भी शुभ फल ही करते हैं|
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दशाओं का प्रभाव—
धन लाभ या संग्रह करने में जातक की कुंडली में दशा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। द्वितीय भाव के अधिपति यानी द्वितीयेश की दशा आने पर जातक को अपने परिवार से संपत्ति प्राप्त होती है, पांचवें भाव के अधिपति यानी पंचमेश की दशा में सट्टे या लॉटरी से धन आने के योग बनते हैं। ग्यारहवें भाव के अधिपति यानी एकादशेश की दशा शुरू होने के साथ ही जातक की कमाई के कई जरिए खुलते हैं। ग्रह और भाव की स्थिति के अनुरूप फलों में कमी या बढ़ोतरी होती है। षष्ठ भाव की दशा में लोन मिलना और बारहवें भाव की दशा में खर्चों में बढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं।
आकस्मिक धन प्राप्ति के योग-
- ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे योग हैं जो व्यक्ति को धनवान बनाने का काम करते हैं| धन की प्राप्ति के बारे में जानने के लिए ग्रह योगों की जानकारी अति आवश्यक है| निम्न योगों में से अधिकतम योग वाली कुंडलियां आकस्मिक धन प्राप्त कराने में समर्थ पाई जाती है,
- कुंडली में धनभाव, पंचम भाव, एकादश भाव, नवम भाव के स्वामियों का किसी भी प्रकार से सम्बन्ध हो तो जातक अकस्मात धन प्राप्त करता है,
- पंचम भाव में शुभ ग्रह हों और उस भाव पर लाभेश व बुध की दृष्टि हो तो अकस्मात धन प्राप्ति का योग बनता है|
- यदि पंचम, एकादश या नवम भाव में राहु, केतु हो तो लॉटरी, सट्टा आदि से आकस्मिक धन लाभ होता है, क्योंकि राहु आकस्मिक धन लाभ के कारक हैं,
- अष्टम भाव में शुक्र तथा चंद्र और मंगल कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ होते हैं तो अकस्मात धन लाभ होता हैं,
- अष्टम भाव में धन भाव का स्वामी स्थित हो तो जातक को जीवन में दबा हुआ, गुप्त धन, वसीहत से धन प्राप्त कराता हैं|
- चंद्र-गुरु की युति कर्क राशि में द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नवम या एकादश भाव में से किसी भी भाव में होती हैं तो जातक अकस्मात धन पाता हैं,
- जिनकी कुंडली में सप्तम स्थान में वृष राशि का चंद्रमा हो और लाभ स्थान में कन्या राशि का शनि हो तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी को भारी आकस्मिक धन-लाभ होता है,
- चंद्रमा और बुध धन स्थान में हों तो बहुत लाभ होता है। दशम स्थान में कर्क राशि का चंद्र और धन स्थान में शनि हो तो अचानक धन-लाभ होता है।
- धन स्थान में पांच या इससे अधिक ग्रह हों तो बड़ा धन-लाभ होता है।
- लग्न से पांचवीं राशि शुक्र की हो तथा शुक्र एवं शनि पांचवें या ग्यारहवें भाव में हों तो धन प्राप्ति का योग बनता है, ऐसा जातक जीवन में प्रयाप्त धन हासिल करता है,
- लग्न से पांचवीं राशि धनु या मीन हो तथा ग्याहरवें भाव में चन्द्र मंगल का योग हो तो अखंड धन योग बनता है इस योग के प्रभाव से जातक निस्संदेह लखपति बनता है,
- कुंडली में द्वितीय भाव का अधिपति लाभ स्थान में और लग्नेश द्वितीय भाव में होता है, तो अकस्मात धन लाभ कराता है,
- लग्नेश धनभाव में तथा धनेश लग्न भाव में हों तो भी अचानक धन लाभ होता है,
- चंद्र-मंगल, पंचम भाव में हों और शुक्र की पंचम भाव पर दृष्टि हो तो जातक अचानक धन पाता है,
- धनेश और लाभेश केन्द्रों में हो तो भी जातक को धन-लाभ होता है।
- यदि धनेश लाभ भाव में अथवा लाभेश धन भाव में हो तो जातक धनी होता है।
- द्वितीय एवं पंचम स्थान के स्वामी की युति या दृष्टि सम्बन्ध या स्थान परिवर्तन योग बने तो जातक लॉटरी से धन प्राप्त करता है,
- एक भी शुभ ग्रह केन्द्रादि शुभ स्थानों में स्थित होकर, उच्च का हो व शुभ ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट हो तो धनाढ्य तथा राजपुरुष बना देता है।
- यदि जन्मकुंडली में लाभेश और धनेश लग्न में हो व दोनों मित्र हों तो धन-योग बनता है
- यदि लग्न का स्वामी धनेश और लाभेश से युक्त हो तो महाधनी योग बनता है।
- अगर किसी जन्म कुंडली में द्वितीयेश और चतुर्थेश शुभ ग्रह की राशि में स्थित हैं तो अकस्मात धन प्राप्ति के योग बनते हैं|
- धनेश शनि का सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र से योगात्मक रूप जन्म के शनि के साथ बने, तो अत्यधिक शुभ होता है|
- पंचम भाव में चंद्र एवं मंगल दोनों हों तथा पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो|
- धनेश व लाभेश एक साथ चतुर्थ भाव में हों तथा चतुर्थेश शुभ स्थान में शुभ दृष्ट हों।
- यदि जन्मकुंडली में कर्क राशि में बुध और शनि 11वें भाव में हों तो जातक महाधनी होता है।
- कार्येश शुक्र का लाभेश मंगल सुखेश मंगल लग्नेश शनि पंचमेश शुक्र धनेश शनि से गोचर से जन्म के कार्येश शुक्र के साथ गोचर हो|
- कुंडली में लाभेश, धनेश और पंचमेश की युति पंचम भाव में हों तो सट्टा आदि से अकस्मात धनलाभ का योग बनता है|
- द्वितीयेश पंचमेश और भाग्येश की लाभ भाव में युति का होना व्यक्ति को लाभ दिलाने वाला होता है|
- लग्नेश की द्वितीय और पंचम भाव के स्वामी के साथ केंद्र में युति हो तो धन प्राप्ति का योग बनता है|
- मकर लग्न की कुंडली में भाग्येश और षष्ठेश बुध एक ही ग्रह हैं,यह धन आने का कारण तो बनायेंगे लेकिन अधिकतर मामले में धनेश, लग्नेश, सुखेश, धन को नौकरी से प्राप्त करवाएंगे|
- धन का कारक ग्रह गुरु है, और धन के प्रदाता स्थान 1, 2, 5, 6, 10, 11 हैं, धन योग/ राजयोग के द्वारा धन कैसे प्राप्त होगा और कहां से प्राप्त होगा और किस दिशा में और किसके द्वारा व कितना प्राप्त होगा|
- इसके विपरीत व्यय स्थान में बारहवें केतु हो, जन्मकुंडली में कालसर्प योग हो। चंद्र, बुध और शनि नीच स्थान में हों तो रेस, सट्टा, लॉटरी से कोई लाभ नहीं होता। व्यक्ति को तभी आकस्मिक लाभ होगा जब कुंडली में पंचम भाव, द्वितीय भाव तथा एकादश भाव व उनके स्वामी ग्रह बलवान व शुभ हों।
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आकस्मिक धन प्राप्ति के उपाय-
हर बुधवार को गणेश जी का दर्शन करें और उन्हें दूर्वा अर्पण करें|
विष्णुसहस्रनाम तथा श्रीसूक्त का एक-एक पाठ नियमित करें तथा श्री लक्ष्मीजी को गुलाब या कमल पुष्प चढ़ाएं।
लाल धागे में सातमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने से माता लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है और अचानक धन की प्राप्ति भी होती है|
शुक्रवार को माता लक्ष्मी के मंदिर जाकर शंख, कौड़ी, कमल, मखाना, बताशा मां को अर्पित करें।
आकस्मिक धन लाभ के लिए गुरुवार को बहते हुए पानी में हल्दी की दो गाँठ बहाएं|
''श्री यंत्र'' जिसे लक्ष्मी का प्रतीक यंत्र माना जाता है इसे घर में लाकर शुक्रवार के दिन शुद्ध गाय के दूध से अभिषेक कर उस यंत्र की प्रतिष्ठा करें, अभिषेक किये हुए दूध को फूल के द्वारा पूरे घर में छिड़क दें, पूजन के बाद श्री यंत्र को अपने घर में तिजोरी या धन के स्थान पर रखें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन लाभ का वरदान देती हैं।
करियर की बेहतरी के लिए मध्यमा अंगुली में एक लोहे का छल्ला धारण करें|
सुखद और संपन्न जीवन के लिए हर शाम को तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं|
पैसा लगातार आता रहे , इसके लिए घर में और बाहर ढेर सारे फूलों के पौधे लगायें|
घर में बचत और बरकत हो , इसके लिए घर से कूड़े कबाड़ और अनुपयोगी वस्तुओं को हटाते रहें|
लक्ष्मीजी के किसी भी मंत्र का जप बुधवार या शुक्रवार से शुरू करें तथा नित्य कमल गट्टे की एक माला ( 108 बार) जाप करें।
झाडू संभालकर रखें तथा खड़ी न रखें। ऐसी रखें कि किसी की नजर उस पर न पड़े। झाड़ू को कभी उलांघें नहीं, न ही पैर की ठोकर लगे|
संध्या के पश्चात झाड़ू-बुहारी न करें। यदि करें तो कचरा घर के बाहर न फेंकें।
दक्षिण-नैऋत्य, पश्चिम में कोई गड्ढा, बोरिंग, हौज इत्यादि न हो तथा जहां भी वास्तुदोष हो, वहां एक स्वस्तिक बना दें। हमेशा बाथरूम में नल इत्यादि से पानी न टपके, ध्यान रखें।
प्रात: जल्दी उठकर घर की सफाई करें तथा स्नानादि कर अपना पूजन-जप इत्यादि कर दिन की शुरुआत करें। जहां सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सोते हैं, वहां धन नहीं आता। दुर्गंधयुक्त स्थान तथा अशुद्ध स्थान पर लक्ष्मी नहीं ठहरती।
भारतीय ज्योतिष अपने ज्योतिष विशेषज्ञों के माध्यम से आपकी कुंडली का विश्लेषण कर आपको अपनी कुंडली के धन योगों को जानने में आपकी मदद करता है|