बैंकिंग सिक्यूरिटी सिस्टम में सेंध - कुंडली क्या कहती हैं

Indian Astrology | 22-Apr-2019

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किसी भी देश का बैंकिंग सिस्टम उसकी अर्थव्यवस्था की नींव होता है। बैंकों को ज्यादा नुकसान होने से देश के हर एक शख्स पर फर्क पड़ता है क्योंकि बैंकों में जमा राशि देश के नागरिकों की होती है। लोग सेविंग करके बैंकों में छोटा-बड़ा निवेश करते हैं। देश के लिए दुर्भाग्य की बात है कि कई बड़े कारोबारी जनता के पैसे लेकर फरार हो जाते हैं। समय के साथ सिक्योरिटी सिस्टम हाईटैक होते जा रहे हैं, साथ ही हाईटैक होते जा रहे हैं, घोटाले करने के तरीके। इसे भारत का दुर्भाग्य कहें या भारतीयों की चतुरता एक के बाद एक पिछले कुछ वर्षों से बैंकिग सिक्योरिटी में सेंध लगाने के बाद बड़े बड़े कारोबारियों के विदेश रफूचक्कर होने के खबरें बढ़ती ही जा रही है। इस प्रकार की खबरें बैंकिंग सुरक्षा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते है। बैंकों के हजार करोड़ रुपये लेकर विदेश में निवास करने लगना, आम खबरें हो गई है। इस प्रकार के आरोपियों पर जब तक कानून अपना शिकंजा कसता है तब तक आरोपी कानून के हाथों से बहुत दूर निकल चुका होता है।

ऐसे घोटालों का शिकार सिर्फ सरकारी बैंक ही नहीं हो रहे हैं बल्कि प्राईवेट बैंकों को भी इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों के साथ धोखधड़ी के मामलों ने बैंकर्स की नींद उड़ा दी है। यह सर्वविदित है कि इस प्रकार के घोटालों में शामिल कारोबारी किसी न किसी राजनैतिक दल को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से संबंध रखते है। घटना घटित हो जाने के बाद विदेश भाग जाने वाले आरोपियों पर देश में राजनीति भी कम नहीं होती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस स्थिति में एक दूसरे पर छीटाकंशी कर अपना उल्लू सीधा करने लगते है। ऐसे ही कुछ मामलों के आरोपियों की कुंड्लियों का विश्लेषण आज हम यहां इस आलेख के माध्यम से करने जा रहे हैं। इसमें नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहूल चौकसी, ललित मोदी और अन्य कुछ कारोबारी शामिल है।

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नीरव मोदी - पीएनबी घोटाला

11,400 हजार करोड़ का पीएनबी घोटाला देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है। इसका मुख्य आरोपी नीरव मोदी है जो देश छोड़कर भाग गए हैं। इसमें नीरव के मामा मेहुल चौकसी भी शामिल हैं। धोखाधड़ी के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ जांच कर रहा है। हाल में चोकसी के लंदन में होने की बात सामने आई थी। 7 साल तक चलने वाले इस पीएनबी घोटाला की भनक आरबीआई और वित्त मंत्रालय को नहीं लग पायी थी। नीरव मोदी की कुंडली में ऐसे कौन से योग थे, जिन्होंने इन्हें इस प्रकार का कार्य करने के लिए प्रेरित किया। आईये जानें-


नीरव मोदी चंद्र कुंड्ली

नीरव मोदी की कुंडली में चंद्र मीन राशि में हैं। इस प्रकार इनकी जन्मराशि मीन है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्म होने के फलस्वरुप नीरव को आकर्षक और चुंबकीय व्यक्तित्व मिला। इसने विपरीत लिंग में इन्हें लोकप्रियता दी। चेहरे पर स्मित हास्य, एक अबोधपन दिया। इन्हें बुद्धिमान, ग्यानवान एवं समझदार बनाया। इस नक्षत्र ने इन्हें गुस्सा नाक पर दिया। इसी के फलस्वरुप अठारह- उन्नीस वर्ष की अवस्था में ही आजीविका कार्य में लगा दिया। धन भाव में नीचस्थ शनि स्थित है। द्वादश भाव में तीन ग्रह राहु, बुध और सूर्य है। एकादश भाव में शुक्र, नवम भाव में गुरु और मंगल एवं छ्ठे भाव में केतु है। इनकी कुंडली में लाभ और आय के स्वामी शनि परिवार भाव में हैं, यह योग इन्हें पैत्रिक कारोबार से जोड़ रहा है। इसी योग के प्रभाव से इन्होंने अपने पारिवारिक कारोबार को आगे बढ़ाया। दशमेश गुरु भाग्य भाव में स्वराशिस्थ मंगल के साथ होने के फलस्वरुप इन्हें कार्यक्षेत्र में भाग्य का सहयोग भी मिला और इस योग ने इन्हें भाग्यशाली भी बनाया। स्वराशि के मंगल ने इनकी कुंड्ली में रुचक योग निर्मित किया। रुचक योग से युक्त व्यक्ति पराक्रम, साहस तथा कार्यकुशलता के चलते अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में बहुत धन तथा प्रसिद्धि प्राप्त करता है। इस योग ने इन्हें साहसी और पराक्रमी बनाया। चतुर्थ भाव पर आयेश शनि की तीसरी दृष्टि इन्हें इनके जन्मस्थान से दूर लेकर गई और नीरव जन्म स्थान से दूर अपने पूर्वजों के देश में वापसी कर अपना कारोबार यहां स्थापित किया।


कुंडली में गुरु, मंगल के क्षेत्र में हैं। गुरु शिक्षा विभाग, बैंक, मानसिक कार्य, लेखन आदि से संबंध रखता है तो मंगल अग्नि, बिजली संबंधित कार्य, सेना, पुलिस से संबंधित विभागों का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल पाप ग्रह है तो गुरु शुभ ग्रह है। इस योग ने इन्हें बैंकिंग नियमों की अनदेखी करने का अतिरिक्त साहस दिया। कर्म या करियर का स्वामी बृहस्पति है। देव गुरु पिछले जन्म कर्म भाव के नवम भाव या घर में है इसलिए यह जातक को बहुतायत में धन देता है लेकिन व्यक्ति को सफलता को बनाए रखने के लिए नैतिक और धार्मिक नियमों का पालन भी करना चाहिए। आयेश और व्ययेश शनि कमजोर अवस्था में धन भाव में है। व्ययेश का धन भाव में स्थित होना, विदेश तक कारोबार का विस्तार और आय वृद्धि के साथ साथ संचित धन में बढ़ोतरी भी देता है। ऋण भाव में केतु की स्थिति और ॠण भाव को ॠण भावेश सूर्य की दृष्टि प्राप्त होने से शत्रु, विरोधी और ॠण भाव बली हो रहा है। बारहवें भाव में राहु विदेश गमन के साथ साथ हानि भी देता है। यह सब घटनायें नीरव मोदी के जीवन को स्पष्ट करती है।


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नीचाभिलाषी बुध का बारहवें भाव में होना, ऋण कारणों से विदेश गमन और जेल यात्रा के योग बना रहा है। सूर्य का द्वादश भाव में होना, सरकारी करों के कारण दंड और सजा की स्थिति देता है। शनि की राशि में सूर्य प्रतिकूल फल तो देता ही है साथ ही सरकारी करों का समय पर भुगतान ना हो पाने के कारण नीरव को कष्ट की स्थिति का सामना भी करना पड़ा। द्वादश भाव से राहु पंचम दॄष्टि से घर भाव को प्रभावित कर सुख-शांति को प्रभावित कर, अशांति देता है। यह धन प्रवाह को अवरुद्ध करता है। छ्ठे भाव के स्वामी का आठवें भाव में होना, विपरीत राजयोग बना रहा है। यह विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति को सफलता तो देता है, साथ ही इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। आय भाव में शनि की राशि में शुक्र का होना, व्यक्ति के कार्यक्षेत्र को भूमि से प्राप्त होने वाले रत्नों से संबंधित करता है। शुक्र का रत्न हीरा है, और हीरे के कारोबार ने इन्हें दिनोंदिन उन्नति दी और शुक्र ने इनके जीवन की दिशा को मोड़ भी दिया।


वर्तमान गोचर

इस समय गोचर में शनि इनके दशम भाव पर गोचर कर रहे हैं। यहां से शनि तीसरी दॄष्टि से व्यय भाव को सक्रिय कर व्यय और हानि की स्थिति बना रहा है। इनके कर्मभाव पर इस वर्ष केतु, शनि और गुरु का प्रभाव मुख्य रुप से रहने वाला है, यह प्रभाव इनके कार्यक्षेत्र में दिक्कतें और तनाव तो देगा ही साथ ही आय में कमी कर व्ययों का विस्तार भी करेगा। गोचर में दशम भाव से केतु नवम दृष्टि से रोग, ॠण और शत्रु भाव को भी सक्रिय कर रहे हैं, जन्म केतु पर गोचर के केतु की दॄष्टि ॠण विषयों से संबंधित परेशानियां बढ़ायेंगे। गोचर में गुरु धनु राशि से इनके चतुर्थ भाव को दॄष्टि देंगे और इसी समय पैत्रिक भाव अर्थात दूसरे भाव को भी प्रभावित करेंगे। इस समय इनके चतुर्थ भाव पर शनि केतु और राहु मंगल का गोचर प्रभाव इन्हें घर का सुख ना देकर, जेल यात्रा कराएगा। राहु इनके चतुर्थ भाव से नवम दृष्टि देकर द्वादश भाव को सक्रिय कर रहे हैं। इससे जेल के योगों को बल प्राप्त हो रहा है। इन्हें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए, कोर्च कचहरी का सामना करने की हिम्मत दें। आने वाले 18 माह इनके लिए खास परेशानियों वाले रहेंगे।


विजय माल्या का बैंक घोटाला

बैंकों से ऋण लेकर देश छोड़ने वालों में व्यवसायी विजय माल्या जी का दूसरा स्थान आता है। एक अनुमान के अनुसार विजया माल्या 13 बैंकों का लगभग 95000 करोड़ रुपये लेकर विदेश चंपत हो गए है। इसमें से सबसे अधिक एसबीआई का धन लगा हुआ है। जो लगभग 1600 करोड़ के आसपास का बताया जा रहा है। इसके पश्चात पंजाब नेशनल बैंक, आईडीबीआई और बैंक आफ बड़ौदा का नंबर आता है। विजय माल्या छुपकर लंदन में रह रहे हैं और सरकार इनके प्रत्यर्पण के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। वर्तमान में इन्हें वापस लाने का कोर्ट केस लंदन में चल रहा है।

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विजय माल्या कुंड्ली विश्लेषण

18 दिसम्बर 1955, 05:32 प्रात:, बंतवाल, कर्णाटका

विजय माल्या का जन्म कुम्भ लग्न और मकर राशि में हुआ। लग्न भाव में शनि की राशि होने के फलस्वरुप इनमें शनि के गुण सामान्य रुप से देखे जाते है। दशम भाव में राहु और शनि की स्थिति व्यक्ति को कर्म के प्रति समर्पित तो करती है। साथ ही साम, दाम, दंड, भेद किसी भी तरह से जीवन में सफल होने का स्वभाव भी देती है। इस योग ने इन्हें महत्वाकांक्षी भी बनाया। पराक्रम भाव को पराक्रमेश मंगल अपनी दृष्टि दे रहे है। चतुर्थ भाव पर केतु स्थित है, और चतुर्थेश शुक्र आय भाव में स्थित है। तीसरा भाव पुरुषार्थ, प्रयास और पहल शक्ति देखी जाती है। लग्नेश शनि यहां द्वादशेश भी है, और कर्म भाव में है। यह योग व्यक्ति को कर्ज के द्वारा जीवन में आगे बढ़ने की आदत देता है। आय भाव में शुक्र, सूर्य और बुध का एक साथ होना व्यक्ति को अतिआत्मविश्वास तो देता ही है, साथ ही यह अति आत्मविश्वास आगे जाकर परेशानी का कारण भी बनता है। सप्तमेश, नवमेश की अष्टमेश के साथ युति के फलस्वरुप व्यक्ति के करियर में उतार-चढ़ाव भी बहुत अधिक आते है। सप्तमेश और अष्ट्मेश का एक साथ होना, वैवाहिक जीवन के लिए तनाव और कष्ट्कारी सिद्ध होता है।

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गुरु महादशा से इनके जीवन ने ऊंचाईयां छूनी शुरु की। मंगल अंतर्द्शा में इन्हें राजनीति में आने के अवसर प्राप्त हुए। इन्होंने अपने संबंधों का लाभ उठाकर व्यवसायिक उननति प्राप्त करने की कोशिश की। शनि-राहु का एक साथ होना व्यक्ति को अनैतिक रुप से आगे बढ़ने का स्वभाव भी देता है, और यह योग पूर्व पुण्यों की कमी भी दिखाता है। दिसम्बर 2021 तक इनकी शनि की महाद्शा प्रभावी है और शनि इनके लग्नेश और द्वादशेश होने के कारण बंधन योग की ओर भी लेकर जाते है। कुंडली में शनि की स्थिति कर्म भाव में होने के फलस्वरुप इन्हें अपने कर्मों की वजह से जेल यात्रा भी करनी पड़ सकती है। आय भाव में अनेक ग्रहों की स्थिति ने इन्हें बहुकंपनियों का स्वामी बनाया। लग्नेश का साथ राहु को मिलने से व्यक्ति में संदेहात्मक हो जाता है। 2020 से 2022 में शनि का गोचर इनके बारहवें भाव पर होगा और कारावास भाव सक्रिय हो जाएगा, इस स्थिति में इनके जेल जाने के प्रबल योग बने हुए है।

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रोटोमैक पेन घोटाला - विक्रम कोठारी

रोटोमैक कम्प्नी के मालिक विक्रम कोठारी को कौन नहीं जानता। एक समय था जब इनके पेन के टैग लाईन लिखते लिखते लव हो जाए, सबकी जुबां पर थी। विक्रम कोठारी भी बैंकों से कर्ज लेकर धन वापस न करने वालों में से एक है। विक्रम कोठारी पर लगभग सात बैंकों का 3695 करोड़ रुपयों ॠण लेकर वापस न करने का आरोप है। विक्रम कोठारी पर भी कानून का शिकंजा कसाना शुरु हुआ तो इन्होंने लोगों का पैसा वापस करना शुरु किया।


जन्मकुंडली

कन्या लग्न और वॄषभ राशि की जन्म कुंड्ली में विक्रम कोठारी का जन्म हुआ। लग्न में केतु, बुध और सूर्य स्थित है। द्वादशेश सूर्य लग्न में है। बुध लग्नेश और दशमेश हैं एवं लग्न भाव में स्थित है। लग्नेश दशम भाव में हो या दशमेश लग्न भाव में हो तो व्यक्ति अपने कर्म के प्रति समर्पित रहता है। लग्नेश लग्न में हों और बुद्ध हो तो व्यक्ति में बुद्धिबल बहुत अधिक होता है। अपने इसी बुद्धिबल से इन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर अपने व्यापार का विस्तार किया और अपने लाभ के लिए इन्होंने कर्ज लिए गए धन का प्रयोग किया। आयेश चंद्र का भाग भाव में स्थित होना और अष्टमेश मंगल का आय भाव में होना, इन्हें तिकड़म से आय प्राप्ति की स्थिति भी दे रहा है।

सप्तमेश गुरु का नीचस्थ होना और आय भाव को दृष्टि देना। इसी प्रकार अष्टमेश का नीचस्थ होकर आय भाव में बैठना, दो नीच ग्रहों का समसप्तक होना। इस कुंडली में गुरु और मंगल दोनों नीच राशिस्थ है और एक दूसरे को दॄष्टि दे रहे हैं। इस योग ने इन्हें गलत तरीके से धन कमाने के लिए प्रेरित किया। साल 2017 से इनकी जन्मराशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रभावी है और यह प्रभाव 2020 के प्रारम्भ तक रहेगा, यह समय कोर्ट कचहरी का होगा और कष्टकारी रहेगा। बुध में सूर्य की अंतर्द्शा प्रभावी हैं और यह जून 2020 तक रहेगी, यह दशा भी द्वादशेश की दशा होने के कारण व्यय, परेशानियां और दिक्कतें देगी। कारावास की स्थिति से इन्हें इस समय बचकर रहना होगा।

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