बिजनेस में चाहते हैं सफलता, तो जल्दी ही धारण करें ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

Indian Astrology | 04-Apr-2020

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ग्यारह मुखी रुद्राक्ष ग्यारह रुद्रों का ही स्वरूप है, इस रुद्राक्ष को साक्षात शिव का रुद्र रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले जातक को हनुमान जी की कृपा हासिल होती है। इस बेहद चमत्कारिक रुद्राक्ष को संतान प्राप्ति के लिए बेहद अहम माना जाता है। भगवान इन्द्र का प्रतीक माने जाने वाले इस रुद्राक्ष को किसी भी वर्ग, जाति या राशि के जातक बिना भेदभाव धारण कर सकते हैं। जो इसे धारण करता है उसे हजार अश्वमेघ-यज्ञ करने का फल, सौ वाजपेय-यज्ञ करने का फल और ग्रहण में दान करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल इस रुद्राक्ष को विधिवत पूजन कर धारण करने से होता है|यह  रुद्राक्ष वृश्चिक लग्न वाले जातकों के लिए धारण करना शुभ फलकारक होता है| इसे सोमवार, शुक्रवार या एकादशी के दिन ही धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष के अधिपति देवता हनुमान जी हैं| यह धारक को सही निर्णय लेने की क्षमता देता है| यह बल व बुद्धि प्रदान करता है तथा शरीर को बलिष्ट व निरोगी बनाता है| इसे धारण करने से प्रसन्नता, ऎश्वर्य एवं यश की प्राप्ति होती है, इसके द्वारा इन्द्रियाँ एवं मन नियंत्रित रहते हैं, यह योग साधना, यम-नियम, आसन-षटकर्म तथा अन्य यौगिक क्रियाओ में सहायक है| भाग्य वृद्धि और धन सम्पत्ति व मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए इसे अवश्य धारण करना चाहिए| साक्षात ग्यारह रूद्र रूप होने से यह जातक को रोग मुक्त करने में भी सहायक होता है और धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ में भी उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है | राजनीति, कूटनीति व हर प्रकार के क्षेत्र में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का धारक सर्वत्र विजय प्राप्त करता है| यह एक सफल एवं उत्तम रुद्राक्ष माना गया है इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले एवं व्यापार करने वाले हर व्यक्ति को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए| विदेश में स्थापित होने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए इस रुद्राक्ष का धारण लाभकारी है| इस रुद्राक्ष के धारणकरता को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता|


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धारण विधि-

 ग्यारहमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रण क्रिया केवल, सोमवार, शुक्रवार अथवा एकादशी के दिन ही करनी चाहिए। एक घी का दीपक जलाकर, उसको रोली रंगे हुये चावल पर रखें। उसके सामने रूद्राक्ष रख दें। तत्पश्चात रूद्राक्ष को गंगाजल व दूध से परिमार्जित करें। रूद्राक्ष पर रंगे हुये चावल छिड़कते हुये हनुमान जी का ध्यान करें। ध्यान के बाद मन्त्र “ॐ ह्रीं हूं नमः’’ को पढ़ते हुये चन्दन, विल्बपत्र गन्ध, इत्र दूध व दीप से पूजन करें। पूजन के बाद उपरोक्त मन्त्र से 11 बार जाप करके हवन करें। तत्पश्चात हवन-अग्नि की 11 बार परिक्रमा करके रूद्राक्ष को गले में धारण करें। इसको धारण करने के पश्चात नित्य प्रति पांच माला “ॐ नमः शिवाय” या तीन माला ऊपर लिखे हुए मंत्र की या एक माला मृत्युंजय मंत्र की जाप करनी चाहिए ताकि भगवान शिव के ग्यारह रुद्रों सहित मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त की जा सके।

एकादश मुखी रुद्राक्ष मंत्र-

श्री नारायणाये श्री विष्णवे नमः ,

ॐ श्री रुद्राय नमः,

ॐ ह्रीम हूम नमः,

ॐ ह्रीं ह्रुं नमः

एकादश मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हूम नमः का जाप कर के धारण करना चाहिए|


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ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ-

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का उपयोग एवं पूजन से एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त होता है, इस रुद्राक्ष को शिखा में धारण करने से हजार अश्वमेध यज्ञ, वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य मिलता है, स्त्रियाँ इसे पति की लंबी उम्र एवं संतान प्राप्ति हेतु धारण कर सकती हैं, सावन में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की पूजा अमोघ फलदायी होती है, इसे धारण करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अभाव नहीं रहता, सभी संकट व कष्ट दूर हो जाते हैं, यह रुद्राक्ष धारक को उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है, बल, बुद्धि प्रदान करता है, ध्यान-साधना इत्यादि में उपयोगी है|

  • ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से जातक को भगवान श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
  • ग्यारह मुखी रूद्राक्ष प्रत्येक प्रकार के संकट क्लेश,उलझन व समस्याओं को दूर करने पराक्रम,साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है।
  • ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एक सौ सहस्त्र गायों के सम्यक दान के बराबर फल प्रदान करने वाला होता है।
  • घर में किसी भी प्रकार की बाधा हो जैसे भूत-प्रेत देवी बाधा,शत्रु भय आदि हो तो आप ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को अपने पूजा कक्ष में रखकर उसका नियमित पूजन करें तो शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
  • जिस स्त्री को सन्तान नहीं हो रही है उसे ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को गले में धारण करने से चमत्कारी लाभ मिलता है।
  • ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को पहने से रोग-दोष से रक्षा होती है।
  • इस रूद्राक्ष को व्यवसाय स्थल में रखकर नियमित पूजन करने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आती है।
  • जिन बच्चों को बार-बार नजर दोष लगने के कारण बीमारियां घेर लेती है। उन्हें ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को लाल धागें में पिरोकर गले में धारण करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।
  • ग्यारहमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से गणेश व लक्ष्मी दोनों की कृपा बनी रहती है। जिससे धन धान्य में कमी नहीं आती है।

ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को पहने से मिलती है कई रोग-दोष से मुक्ति-

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का उपयोग अस्थमा एवं सांस से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है, मस्तिष्क सम्बन्धी विकारों को दूर करता है, संक्रामक रोगों के नाश के लिए तथा शरीर को बलिष्ठ व निरोगी बनाने में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होता है|

ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को पहने से रोग-दोष से रक्षा होती है, इस रूद्राक्ष को व्यवसाय स्थल में रखकर नियमित पूजन करने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आती है।

जिन बच्चों को बार-बार नजर दोष लगने के कारण बीमारियां घेर लेती हैं, उन्हें ग्यरहमुखी रूद्राक्ष को लाल धागें में पिरोकर गले में धारण करने से अत्यन्त लाभ मिलता है।

इस रूद्राक्ष को धारण करने से गणेश व लक्ष्मी दोनों की कृपा बनी रहती है। जिससे धन धान्य में कमी नहीं आती है।

अगर घर में भूत-प्रेत बाधा या अन्या किसी नकारातमक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है तो ग्यारह मुखी रूद्राक्ष का विधिवत पूजन करके एक ताॅबे के पात्र में जल भरकर उसमें डाल दें और सुबह-शाम उस जल को पूरे घर में छिड़कने से नकारात्मक चली जाती है।


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