व्यापार में वृद्धि के साथ धन लाभ चाहते है तो धारण करें बुध रत्न पन्ना,
Indian Astrology | 08-Apr-2020
Views: 7468पन्ना बुध ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है, इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है| संस्कृत में इसे मर्कत, गरुडांकित, गरलारि हिंदी में पन्ना और अंग्रेजी में इसे एमराल्ड कहते हैं| पन्ना मूलत: हरे रंग का होता है और यह हल्के और गहरे हरे रंग में उपलब्ध होता है। क्रोमियम और वैनेडियम जैसे तत्वों की वजह से पन्ना हरे रंग का होता है। पन्ना को कोयले की खदान से निकाला जाता है। पन्ना हरे रंग का अर्थात तोते के रंग का होता है| पन्ना अत्यंत नरम पत्थर होता है तथा अत्यंत मूल्यवान पत्थरों में से एक है। रंग, रूप, चमक, वजन, पारदर्शिता के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित होता है। पन्ना अति प्राचीन बहुप्रचलित तथा मूल्यवान रत्न होता है| मूल्यवान रत्नों की श्रेणी में इसका तीसरा स्थान है| इस रत्न को धारण करने से अनिश्चितता निश्चितता में बदल जाती है। विद्यार्थी वर्ग यदि पन्ना पहने तो बुद्धि तीक्ष्ण बनती है। यह रोगियों के लिए बलवर्धक, आरोग्यदायक एवं सुख देने वाला होता है।
पन्ना को धारण करने से कई सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके प्रभाव से मानसिक विकारों में सुधार होता है। वे लोग जिनकी जन्म कुंडली में बुध कमज़ोर होता है वे मानसिक और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि के लिए पन्ना धारण कर सकते हैं। यह भी माना जाता है कि अगर गर्भवती महिला की कमर में पन्ना को बांधा जाता है तो प्रसव में आसानी होती है। वे लोग जो बोलने में हकलाते या तुतलाते हैं उन्हें पन्ना पहनने की सलाह दी जाती है। जिस घर में यह रत्न होता है, वहाँ अन्न-धन की वृद्धि, सुयोग्य संतान तथा भूत-प्रेत की बाधा शांत होती है। सर्प भय नहीं रहता। नेत्र रोगों में भी यह अत्यंत लाभकारी होता है। इस रत्न को पाँच मिनट तक प्रातः एक गिलास पानी में घुमाएँ फिर आँखों पर छिटका जाए तो नेत्र रोग में फायदा होता है। पन्ना रत्न आध्यात्मिक ऊर्जा का उपयोग करने के लिए विशेष रुप से धारण किया जाता हैं। बुध का रत्न होने के कारण इसका सीधा संबंध बुद्धि, बौद्धिक योग्यता, नियोजन और निर्णय क्षमता से हैं। बहुत आकर्षक और सुंदर रत्नों में से पन्ना एक रत्न हैं। यह रत्न अपने गुण और कारकत्वों का फल धारक को देता हैं लेकिन यह रत्न योग्य ज्योतिषी के परामर्श के बाद ही धारण किया जाना चाहिए।
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कितने रत्ती यानि वज़न का पन्ना रत्न धारण करना चाहिए-
पन्ना रत्न कम से कम 3 से 7 रत्ती का होना चाहिए। इसे सोने या चाँदी में धारण करके पहनना लाभकारी होता है। पन्ना रत्न दो रत्ती से लेकर कई प्रकार का होता है। पन्ना रत्न पहनने के बाद 45 दिनों के अंदर इसका असर दिखने लगता है, यदि रत्न खराब न हो तो वृषभ, मिथुन और कन्या लग्न के जातक इसे आजीवन भी धारण कर सकते हैं|
पन्ना रत्न पहनने की विधि-
पन्ना रत्न बुध ग्रह से संबंधित है और इसे सोने की अंगूठी में अनामिका या कनिष्ठा अंगुली में पहना जा सकता है। पन्ना रत्न को धारण करने से पहले इसे कच्चे दूध या गंगाजल में डालें और शुद्धिकरण करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल चढ़ाएं व सुंगधित अगरबत्ती लगाएं, क्योंकि भगवान विष्णु बुध ग्रह के अधिदेवता हैं और फिर बुध ग्रह के बीज मंत्र ‘’ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’’ का 108 बार जप करें। इसके बाद पन्ना को बुधवार के दिन बुध के नक्षत्र अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती में और बुध की होरा इसे धारण करना चाहिए।
पन्ना रत्न से होने वाले लाभ-
पन्ना रत्न के कई लाभ और विशेषताएं हैं। जीवन में होने वाली कई घटनाएं और दुख में राहत पहुंचाने के लिए पन्ना बहुत ही सहायक होता है। इससे जुड़े लाभ नीचे दर्शाए गए हैं,
पन्ना नेत्र रोगनाशक व ज्वरनाशक होता है| पन्ना सन्निपात, दमा, शोथ आदि व्याधियों को नष्ट करके शरीर में बल एवं वीर्य की वृद्धि करता है| इसे धारण करने से बुध जनित समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं|
पन्ना धारण करने से धारक की चंचल चितवृतियां शांत व संयमित रहती हैं|जिससे धारक को मानसिक शांति प्राप्त होती है| इसके धारण करने से मन एकाग्र होता है| यह काम क्रोध आदि विकारों को शांत कर धारक को असीम सुख प्रदान करता है|
यह अच्छी सेहत व धन संबंधी मामलों के लिए अच्छा होता है और जीवन में खुशियों को बरकरार रखता है।
जिन व्यक्तियों को सभा में अपनी बात कहने में असहजता का अनुभव होता हैं। उन सभी को यह रत्न धारण करना चाहिए।
पन्ना में जहरीले तत्वों व विषाणु से लड़ने की भी क्षमता होती है और इसे धारण करने से सर्प दंश की संभावना भी कम हो जाती है।
अपने अन्य गुणों के साथ साथ पन्ना रत्न चिकित्सा क्षेत्र में भी उपयोग में लाया जाता हैं। मिर्गी, अस्थमा, ह्रदय रोग, त्वचा रोग और अनिद्रा जैसे रोगों में कारगर है।
यह गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी होता है क्योंकि इसे धारण करने से उन्हें प्रसव के समय ज्यादा तकलीफ नहीं होती है।
जन्मपत्री में बुध की शुभता का लाभ उठाने के लिए पन्ना रत्न धारण किया जाता हैं। इस रत्न की शुभता से मन, बुद्धि, त्वचा और भाषण योग्यता बेहतर होती है।
यदि पन्ना रत्न आपको उपहार में दिया गया है, तो यह अच्छे भाग्य का कारक होता है, विशेषकर मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए।
इस रत्न को धारण करने पर दिमागी कार्यो में रुचि बढ़ती हैं। धारक को शैक्षिक कार्यों, व्यापारिक कार्यों और छात्रों का पढ़ाई में मन लगता हैं।
वे लोग जो बोलने में हकलाते हैं उनके लिए पन्ना रत्न धारण करना लाभकारी होता है। यदि आप एक वक्ता हैं और पन्ना धारण करते हैं, तो आपकी भाषा और वाणी में और निखार आएगा।
बुध रत्न पन्ना धारक की मानसिक विचारधारा और बुद्धि का सहयोग देता हैं।
यह मानसिक तनाव को भी कम करता है और रक्तचाप सामान्य बनाये रखता है।
भाषण योग्यता में वृद्धि होती हैं। मंदबुद्धि व्यक्तियों को इसे धारण करना चाहिए।
तर्क शक्ति और ज्ञान अर्जित करने में इस रत्न की भूमिका अहम रहती हैं।
भावनाओं और तनाव को दूर करने में यह रत्न उपयोगी सिद्ध होता है।
याददाश्त को बेहतर करने के लिए भी पन्ना रत्न पहना जा सकता हैं।
त्वचा रोग, तंत्रिका तंत्र और वाणी से जुड़े रोगों के निवारण में पन्ना रत्न लाभकारी रहता हैं।
रत्न शुभता से मस्तिष्क से जुड़े रोगों और विकारों में सुधार होता है।
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पन्ना रत्न से होने वाले नुकसान-
पन्ना एक बहुत ही मूल्यवान रत्न है। यदि इसके सकारात्मक प्रभाव है, तो कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। आइये जानते हैं इसे कब धारण नहीं करना चाहिए-
वे लोग जो अपनी जन्म कुंडली में बुध के बुरे प्रभाव से पीड़ित हैं उन्हें पन्ना नहीं पहनना चाहिए।
वे व्यक्ति जो छोटी सी बात को बड़ा बना देते हैं उन्हें भी पन्ना नहीं धारण करना चाहिए।
वे लोग जिनकी आदत बातों को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर कहने की होती है और झूठ बोलने की होती है, उन्हें पन्ना रत्न नहीं पहनना चाहिए।
यदि आप चोरी करते हैं या कभी कोई चोरी की है तो भी आपको पन्ना धारण नहीं करना चाहिए।
वे लोग जो दूसरों के विरुद्ध षडयंत्र रचते हैं उन्हें भी पन्ना रत्न पहनने से परहेज़ करना चाहिए।
वे लोग जिनकी बुद्धि बहुत तेज है उन्हें भी पन्ना नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह उन लोगों के लिए है जिनका बुध कमज़ोर होता है।
वे लोग जो किसी भी तरह की एलर्जी से प्रभावित रहते हैं उन्हें भी पन्ना नहीं पहनना चाहिए।
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असली पन्ना रत्न की पहचान-
एक असली पन्ना रत्न बहुत मुलायम और टिकाऊ होता है। इसकी सतह पर कुछ काले धब्बे होते हैं जो इसमें कार्बन के मिश्रण की वजह से होते हैं। इन विशेषताओं की मदद से हम असली पन्ना रत्न की पहचान कर सकते हैं। पन्ना रत्न की सतह पर कुछ दरारें भी होती है लेकिन इससे रत्न की गुणवत्ता और प्रभाव पर कोई असर नहीं होता है। पन्ना रत्न को कोयले की खदानों से निकाला जाता है। असली पन्ना रत्न की पहचान करने के लिए निम्न बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए|
पन्ना हाथ में लेने पर अपेक्षाकृत भार से कम प्रतीत हो तो पन्ना नकली समझना चाहिए|
गर्म करने से यदि पन्ने का रंग उड़ जाये तो पन्ने को रंगा हुआ समझना चाहिए, असली पन्ना गर्म करने पर छिटकता नहीं है|
यदि असली पन्ना रत्न को हम आंखों पर रखते हैं तो यह शीतलता प्रदान करता है लेकिन अगर रत्न नकली हुआ तो आपको गर्माहट महसूस होगी।
असली पन्ने को लकड़ी पर रगड़ने से इसकी चमक में वृद्धि होती है|
यदि हम पानी से भरे एक ग्लास में पन्ना को डालते हैं तो इसमें से निकलने वाली हरी रोशनी में हमें विकिरण देखने को मिलेगी।
असली पन्ना रत्न पर पानी की बूंद स्थिर रहती है जबकि नकली पन्ना रत्न पर पानी की बूंदें बिखर जाती है।
इसमें भंगुरता होने के कारण यह गिरने से टूट जाता है|
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