करियर कांउसलिंग - ज्योतिष विद्या के साथ
Indian Astrology | 14-May-2019
Views: 6273एक सही पेशे का चुनाव करना सदैव से महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन आज नई प्रौद्योगिकी और तकनीकी क्षेत्रों में विकास और बदलते आर्थिक परिद्र्श्य के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने इसे ओर भी अधिक अनिवार्य बना दिया है। नई तकनीकों के आगमन के साथ ही विश्व का बाजार एक नए रुप में सामने आ गया है, जो विश्व भर में ज्ञान आधारित उद्योग के माध्यम से धन अर्जित करने के अवसर उत्पन्न कर रहा है। उद्योग आज लक्जरी उद्योग, कंप्यूटर उद्योग, रियल एस्टेट उद्योग, वित्तीय उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग और अनुसंधान और विकास उद्योग के रुप में व्यवसाय की नई प्रयोजनाओं को सामने ला रहे है। उद्योगों के बदलते हुए इस रुप का प्रत्यक्ष प्रभाव व्यक्ति की जीवन शैली और वित्तीय स्थिति पर देखा जा सकता है।
वैश्वीकरण और विश्व व्यापार नीतियों ने आज राजनैतिक प्रशासकों की शक्तियों को सीमित कर दिया है। उद्योगपतियों की शक्तियां समय के साथ बढ़ती जा रही है। सरकारें भी अपनी आर्थिक नीतियों को तय करते समय मार्गदर्शक संकेतकों के रुप में प्रयोग करती है। सरकार अपनी इन नीतियों से एक ओर पुराने निवेशको को निवेश बाजार में बनाए रखना चाहती हैं वहीं नीतियों के द्वारा नए निवेशों को प्रेरित करने का कार्य कर जनता की जीवन शैली में सुधार करने का कार्य भी करती है। इससे बाजार की स्थिति को बल मिलता है और लोग वस्तुएं क्रय करने के लिए प्रेरित होते है।
प्रतिस्पर्धा और नई आर्थिक व्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति कमजोर और प्रतिकूल ग्रहों के प्रभाव को कम करते हुए मजबूत ग्रहों का प्रयोग करते हुए अपनी स्मृति शक्ति, विश्लेषणात्मक कौशल, रचनात्मक शक्ति, कल्पना और नेतृत्व गुणों का उपयोग करें। इस स्थिति में वह अपनी प्रतिभा, कौशल और क्षमता का पूरा उपयोग करें। एक योग्य ज्योतिषी अपनी विद्या का प्रयोग कर करियर के क्षेत्र में प्रथम कदम रखने वाले जातकों के अभिभावकों का मार्गदर्शन करने के लिए कमजोर ग्रहों को बल देने के लिए उपाय और मजबूत ग्रहों का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपाय दें।
शैक्षिक संभावनाओं में ज्योतिष विद्या का प्रयोग
जीवन चलायमान है, इतनी तेजी से जीवन की घटनाएं बदलती है कि, आपको जीवन में प्रयोग करने और सुधार करने का भी कई बार समय नहीं मिलता है। जीवन का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है। ऐसे में ज्योतिष की दिव्य विद्या का लाभ उठाना समझदारी कही जा सकती है। किसी भी पेशेवर जीवन में सफलता के कुछ खास सूत्र है जैसे - आयोजन क्षमता, कल्पना, टीम से काम, दूसरों का विकास और विश्वास करने की क्षमता, सतर्कता, अच्छा स्वास्थ्य और पहल योग्यता, सकारात्मक व्यक्तित्व आदि। जन्मपत्री से शिक्षा के क्षेत्रों की संभावनाओं की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल काम है और ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस क्षेत्र से संबंधित प्रश्न सबसे अधिक आते है। ज्ञान, शैक्षिक और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की अनेक नई शाखाओं के आने से यह और भी मुश्किल हो गया है। इस स्थिति में माता-पिता के लिए भी अपनी संतान के लिए अध्ययन क्षेत्र का चुनाव करना काफी कठिन है। एक सफल करियर के दृष्टिकोण से यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम और कैरियर जन्म कुंडली के प्रमुख निर्धारक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। ग्रह स्थिति पूर्ण रुप से अकादमिक विषय चयन, व्यावसायिक अध्ययन चयन और व्यावसायिक उपक्रमों के चयन में सहयोग करती है। इसे ज्योतिषीय उपचारात्मक उपायों के द्वारा सुधारा जा सकता है। शिक्षा के विषयों का चयन करने में निम्न सूत्र हमारी सहायता कर सकते हैं-
कुंडली का चतुर्थ भाव माध्यम शिक्षा का भाव है। पांचवा भाव उच्च या व्यावसायिक शिक्षा का भाव है। पंचम भाव के विषय में लिए गए निर्णयों का सीधा प्रभाव हमारे दसवें भाव और एकादश भाव पर पड़ता है। द्वितीय भाव में दशमेश की स्थिति व्यक्ति को पेशेवर शिक्षा से जोड़ती है। पेशेवर शिक्षा से जुड़े ग्रहों मे सूर्य, चंद्र, शुक्र, गुरु और मंगल खास महत्व रखते है। इन ग्रहों की स्थिति व्यक्ति को उच्च स्तर का पेशेवर बनाती है। कमजोर ग्रह अच्छे परिणाम देने में विफल रहते हैं, भले ही वे केंद्र भाव में स्थित हो। एक ग्रह विभिन्न व्यवसायों का प्रतीक हो सकता है। उदाहरण के लिए-
•
सूर्य - प्रशासन, संगठन क्षमता, प्रबंधन क्षमता, राजनीति, कानून और चिकित्सा में पाठ्यक्रमों का अध्ययन दर्शाता है।
•
चंद्रमा - देखभाल, हाउसकीपिंग, प्रशासन, जनसंपर्क, आदि में पाठ्यक्रमों के अध्ययन का प्रतीक है।
•
मंगल - इंजीनियरिंग, निर्माण, सशस्त्र बलों, पहल और उद्यमिता में पाठ्यक्रमों का अध्ययन दर्शाता है।
•
बुध - रचनात्मक लेखन, लेखा, विश्लेषणात्मक अध्ययन, कंप्यूटर अनुप्रयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, कानून के अनुप्रयोग, इंजीनियरिंग के डिजाइनिंग कार्य आदि में पाठ्यक्रमों का अध्ययन दर्शाता है।
•
बृहस्पति - कानून, शिक्षण, वित्तीय प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन, आध्यात्मिकता, आदि में पाठ्यक्रमों के अध्ययन को दर्शाता है।
•
शुक्र - चिकित्सा, जीवन रक्षक दवाओं, कला और फैशन, इंजीनियरिंग, वित्तीय प्रबंधन, कानून आदि में पाठ्यक्रमों का अध्ययन दर्शाता है।
•
शनि - उत्पादन, कम प्रौद्योगिकी उद्योग, इंजीनियरिंग, श्रम / औद्योगिक और कल्याण कानून, आदि में पाठ्यक्रमों के अध्ययन को दर्शाता है।
कुंडली के माध्यम से करियर का अध्ययन करते समय हमें ऐसे ग्रह की पहचान करनी होगी जो सबसे अधिक शिक्षा क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है, सबसे अधिक प्रभावशाली हो। करियर के क्षेत्र में मिलने वाली प्रसिद्धि, आय और सराहना कुंडली में स्थिति ग्रहों की प्रकृति, स्थिति, बल और योग का परिणाम होती है।
शुक्र, बृहस्पति और बुध का योग, युति या इन ग्रहों का समूह वित्तीय संस्थानों में या वित्तीय मामलों, कानूनी सलाह, या कानून कार्य करने वाली एजेंसी और वित्तीय क्षेत्रों में एक सलाहकार की भूमिका से संबंधित पाठ्यक्रमों का अध्ययन करा सकता है।
सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति, आदि की युति प्रशासनिक/नौकरशाही क्षेत्र में अग्रणी पाठ्यक्रमों के अध्ययन का संकेतक हो सकती है।
शुक्र, शनि, बुध और मंगल की युति इंजीनियरिंग क्षेत्र में अध्ययन का संकेत हो सकती है।
बली बुध या तीसरे भाव का स्वामी या पंचम भाव का स्वामी व्यक्ति को अनुसंधान आधारित अध्ययन के योग्य बनाता है।
जब ग्रह / कारक कमजोर होते हैं या कमजोर ग्रहों की दशा / मुख्य अवधि चल रही होती है, तो पढ़ाई पूरी करने के बाद जातक नियमित नौकरी, लिपिक या यांत्रिक, बिक्री प्रतिनिधि / सहायक आदि के लिए जाते हैं या केवल हाथ का कोई कार्य करता है।
व्यवसाय करने के लिए, शुक्र और बुध की भूमिका विशेष महत्व रखती है। क्योंकि ये सभी ग्रह व्यक्ति को योजना, व्यापार और आयोजन करने की योग्यता प्रदान करते है।
रॉयल ग्रह (सूर्य और चंद्रमा) और मंगल ग्रह व बृहस्पति के शुभ प्रभाव से व्यक्ति राजनीति में करियर बना सकता है। राहु राजनीति के क्षेत्र में प्रयासों को गति देता है। केतु समाज से मोहमाया भंग कर जीवन को एक अलग दिशा देते है।
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि शिक्षा भाव, बुध ग्रह और बृहस्पति ग्रह के महत्व के अलावा, इनसब पर प्रभाव डालने वाले ग्रह भी शैक्षिक उपलब्धियों के निर्धारक बन सकते हैं।
दूसरे भाव का स्वामी का स्वामी और पांचवें भाव का स्वामी उच्च शिक्षा का आपसी संबंध व्यक्ति को उच्च या व्यावसायिक शिक्षा की ओर लेकर जाता है।
16 और 24 वर्ष की आयु के मध्य कमजोर ग्रहों की दशा आ जाए तो व्यक्ति को अपना करियर बनाने में दिक्कते होती है।