दुर्गा अष्टमी विशेष – महत्व, कथा एवं पूजा विधि
Future Point | 07-Jun-2019
Views: 7115हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी मनायी जाती है, दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा जी की आराधना की जाती है, दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह में आती है इसलिए इसे मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं. दुर्गा अष्टमी का व्रत और पूजन का बहुत ही ख़ास महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन और श्रद्धा से जो भी कामना की जाए देवी माँ उसे अवश्य पूरा करती है. अन्य किसी भी पूजा की तरह हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, वैसे तो प्रत्येक महीने की दुर्गाष्टमी का महत्व होता है परन्तु उन सभी में से सबसे महत्वपूर्ण ‘दुर्गा महाष्टमी’ होती है जो आश्विन माह के शारदीय नवरात्रि के दौरान आती है.
दुर्गा अष्टमी का महत्व -
दुर्गा अष्टमी के व्रत को अध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है. संस्कृत की भाषा में दुर्गा शब्द का अर्थ होता है अपराजित अर्थात जो किसी से भी कभी पराजित या हारा नहीं हो उसको अपराजित कहते है और अष्टमी का अर्थ होता है आठवा दिन. इस अष्टमी के दिन महिषासुर नामक राक्षस पर देवी दुर्गा ने जीत हासिल की थी.
इस दिन का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योकि इस दिन दुष्ट और क्रूर राक्षस को उन्होंने मार कर सारे ब्रह्माण्ड को भय मुक्त किया था, और साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन जो भी भक्त पूरी भक्ति और श्रद्धा से पूर्ण समर्पण के साथ दुर्गा अष्टमी का व्रत करते है उसके जीवन में खुशी और अच्छे भाग्य का आगमन होता है.
इसके अलावा दुर्गा अष्टमी का महत्त्व इसलिए ज्यादा बढ़ जाता है क्योकि इस दिन देवी माँ भक्तो पर अपनी विशेष कृपा की बरसात करती है, अतः इस दिन देवी का उपवास करने वाले भक्तों को जीवन में दिव्य सरंक्षण, समृधि, व्यापार में लाभ, विकास, सफलता और शांति की प्राप्ति होती है, और सभी बीमारियों से शरीर को छुटकारा प्राप्त होता है अर्थात शरीर रोग मुक्त और भय मुक्त होता है.
दुर्गा अष्टमी कथा -
हिंदू धर्म में पौराणिक कथाओं के अनुसार सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे और उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग को बर्बाद करना शुरू कर दिया, सभी दानवों में महिषासुर सभी में सबसे शक्तिशाली असुर था, अतः उसका अंत करने के लिए भगवान शिव जी, भगवान विष्णु जी और भगवान ब्रह्मा जी ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को उत्पन्न किया, सभी देवता गणों ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया, इसके पश्चात् आदि शक्ति दुर्गा पृथ्वी पर आई और असुरों का वध किया, माँ दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया, उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।
दुर्गा अष्टमी पूजा विधि -
- दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष रूप से माँ दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है.
- इस दिन महागौरी के रूप की तुलना शंख, चन्द्रमा या चमेली के सफ़ेद रंग से की जाती है, इस रूप में महागौरी एक 8 वर्ष की युवा बच्चे की तरह मासूम दिखती है, इस दिन वो विशेष शांति और दया बरसाती है.
- दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त सुबह जल्दी से स्नान करके देवी दुर्गा से प्रार्थना करते है और पूजन के लिए लाल फूल, लाल चन्दन, दीया, धूप इत्यादि इन सामग्रियों से पूजा करते है।
- देवी को अर्पण करने के लिए विशेष रूप से नैवेध को तैयार किया जाता है. साथ ही देवी के पसंद का गुलाबी फुल, केला, नारियल, पान के पत्ते, लोंग, इलायची, सूखे मेवे इत्यादी को प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है और पंचामृत भी बनाया जाता है.
- एक वेदी बनाकर उसपर अखंड ज्योति जलाई जाती है, और हाथों में फूल, अक्षत को लेकर इस मंत्र का जाप किया जाता है.
“सर्व मंगलाय मांगल्ये, शिवे सर्वथा साधिके
सरन्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते”
- इसके पश्चात् आप उस फूल और अक्षत को माँ दुर्गा को समर्पित कर दें, फिर बाद में आप दुर्गा चालीसा का पाठ कर आरती करके पूजा करे.
- दुर्गा अष्टमी व्रत का उपवास स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से रख सकते है. कुछ भक्त बिना अन्न और जल के उपवास रखते है, तो कुछ भक्त दूध, फल इत्यादी का सेवन करके इस व्रत का उपवास करते है.
- इस दिन मांसाहारी भोजन करना या शराब का सेवन करना वर्जित होता है।
- दुर्गा अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने की परम्परा भी है, ऐसा माना जाता है कि इस दिन विशेष कर जो 6 वर्ष से 12 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियां हैं. वे पृथ्वी पर माँ दुर्गा का प्रतिनिधित्व करती है. इस दिन 5, 7, 9 और 11 लड़कियों के समूह को भोजन के लिए आमन्त्रित कर उनके स्वागत में उनके पांव को पहले धोया जाता है, फिर उनका पूजन किया जाता है.
- कन्याओं को भोजन में खीर, हलवा, पुड़ी, मिठाई इत्यादि खाद्य पदार्थ दिए जाते है और उसके बाद कुछ उपहार देकर उन्हें सम्मानित किया जाता है।
- इन सारे विधि कार्यों को करने के बाद पूजा समाप्त हो जाती है और अंत में माता का आशीर्वाद आपको प्राप्त हो जाता है।
2019 में मासिक दुर्गा अष्टमी की तिथियाँ -
- 14 जनवरी →दिन सोमवार
- 13 फरवरी →दिन बुधवार
- 14 मार्च →दिन गुरुवार
- 13 अप्रैल →दिन शनिवार
- 12 मई →दिन रविवार
- 10 जून →दिन सोमवार
- 09 जुलाई →दिन मंगलवार
- 08 अगस्त →दिन गुरुवार
- 06 सितंबर →दिन शुक्रवार
- 06 अक्टूबर →दिन रविवार
- 04 नवंबर →दिन सोमवार
- 04 दिसंबर →दिन बुधवार