एक मुखी रुद्राक्ष से होने वाले लाभ एवं इसकी चमत्कारिक शक्तियाँ
Indian Astrology | 04-Apr-2020
Views: 5596यह रुद्राक्ष साक्षात भगवान शंकर का स्वरूप है, इससे भुक्ति एवं मुक्ति दोनों की प्राप्ति होती है, हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव के नेत्रों से आंसू निकला तब रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। तथा उनकी आंखों से जो पहली बूंद आंसू की गिरी, वह एक मुखी रुद्राक्ष के रूप में उत्पन्न हुआ। कहते हैं कि रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शिव को प्रिय होता है। एक मुखी रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है। यह गोलाकार और अर्ध चंद्र जैसा होता है। गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष में उभरी हुई एक धार होती है। लेकिन इसकी उपलब्धता और दृश्यता दुर्लभ होती है। ऐसा माना जाता है कि एक मुखी रुद्राक्ष शक्ति, ऊर्जा, सत्य और मोक्ष का प्रबल स्रोत होता है। धारक पवित्र व पापमुक्त होकर परमब्रह्म की प्राप्ति करता है, इस रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह होता है और भगवान शिव इसके स्वामी देव हैं। यह अत्यंत दुर्लभ रुद्राक्ष है एवं अनेक कार्यों में सफलता प्रदान करता है| एक मुखी रुद्राक्ष सर्वसिद्धि प्रदाता रुद्राक्ष कहा गया है| यह सात्विक शक्ति में वृद्धि करने वाला मोक्ष प्रदाता रुद्राक्ष है| इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति स्वयं को भगवान शिव और पारलौकिक जीवन से जुड़ा हुआ पाता है। जिसके घर में एक मुखी रुद्राक्ष होता है, वहां लक्ष्मी का स्थाई वास होता है| और उस घर में धन-धन्य, वैभव, प्रतिष्ठा और दैवीय कृपा बानी रहती है| यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को देने वाला चतुर्वर्ग प्रदाता रुद्राक्ष है| हिंदू धर्म में अपनी आस्था रहने वाले और शिव को मानने वाले लोग आज भी रुद्राक्ष धारण करते या किए हुए हैं।
एक मुखी रुद्राक्ष का इतिहास-
पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है। इसके धारण करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट व संकट दूर हो जाते हैं। ''एकवक्त्रः शिवः साक्षाद्ब्रह्महत्यां व्यपोहति'' अर्थात एक मुखी रुद्राक्ष मेरा ही स्वरूप है, और यह ब्रह्महत्या व पापों को दूर करने वाला है| एक मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति जीवन के अंधकार को दूर कर उसमें प्रकाश पुंज भरता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से ब्रह्म हत्या के समान पापों से भी मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोह माया के जाल से ऊपर उठ कर जीवन में सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ता है। पद्म पुराण के 57वें अध्याय में 38-39वाँ श्लोक में एक मुखी रुद्राक्ष के महत्व के बारे में बताया गया है कि, “एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का स्वरूप है जो समस्त पापों का नाश करता है। अतः इसके धारण करने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हे कार्तिकेय! एक मुखी रुद्राक्ष को वही व्यक्ति धारण करने के योग्य होगा जो धार्मिक रूप से विश्वसनीय, शिव की कृपा और कैलाश पर्वत को प्राप्त कर सके”।
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एक मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष-
भारतीय ज्योतिष के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह सूर्य है। इस कारण एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक के अंदर ऊर्जा शक्ति और नेतृत्व क्षमता का निर्माण होता है। और आत्मबल में वृद्धि होती है, इस रुद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुलते हैं और उसे समाज में मान-प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि मिलती है। यदि कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो अथवा अस्त तो एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
यदि कुंडली में सूर्य छठवें, आठवें और बारहवें स्थान का स्वामी है। इसके साथ ही यदि सातवें स्थान पर बैठकर वैवाहिक जीवन में परेशानी पैदा कर रहे हैं या फिर कुंडली में सूर्य ग्रह, शनि, राहु और केतु के साथ बैठा है तो ऐसे में एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त यदि किसी क्रूर ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है तो भी एक मुखी रुद्राक्ष को पहना जा सकता है। इसको धारण करने से सूर्य के नकारात्मक प्रभाव भी सकारात्मक प्रभाव देने लगते हैं।
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि-
सबसे पहले कांसे के शुद्ध बर्तन में पंचामृत और पंचगव्य बना लें और उसमें गुलाब फूल के पत्ते डाल दें। अब बारी-बारे से रुद्राक्ष या उसकी माला को दोनों में स्नान कराएं। फिर भगवान शिव के मंत्र का जप करें। इसके लिए शिव पंचाक्षर मंत्र अत्यंत श्रेष्ठ है। इसके पश्चात फिर से इसे गंगाजल में स्नान कराएं। फिर एक साफ लाल कपड़े पर रख दें। फिर चंदन, बिल्वपत्र, लाल पुष्प, धूप-दीप द्वारा रुद्राक्ष की पूजा करके अभिमंत्रित करें। इसके अलावा शिव-गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। मंत्र है- “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥” इस मंत्र का 11 बार जाप करें। अब इस रुद्राक्ष को किसी शिवलिंग पर अर्पित कर दें। फिर भगवान शिव से प्रार्थना करें कि वो अपनी कृपा इसके माध्यम से हमेशा बनाए रखें। रुद्राक्ष को सोने एवं चाँदी की माला के साथ पहनें अथवा इसे लाल धागे के साथ पहनें| एक मुखी रुद्राक्ष को रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन धारण करें| रुद्राक्ष को जागृत करने के लिए “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें, उपरोक्त विधि को संपन्न करने के बाद उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान शिव का स्मरण करते हुए रुद्राक्ष को धारण करें।
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रुद्राक्ष धारण के नियम-
- एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए|
- रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति सदाचारी होना चाहिए|
- रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए|
- रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति उष्मा महसूस कर सकता है। क्योंकि उष्मा एक मुखी रुद्राक्ष की विशेषता होती है|
- धारण करने के अलावा एक मुखी रुद्राक्ष की आराधना करें|
एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ-
एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की आध्यात्मिक इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और मन को शांति मिलती है|
इस एकमुखी रुद्राक्ष के प्रभाव में मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।
इस रुद्राक्ष के प्रभाव से जीवन में समृद्धि आती है|
जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है उसके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि तथा व्यक्तित्व का विकास होता है
इसे धारण करने से मनुष्य की उसके शत्रुओं से रक्षा होती है।
एक मुखी रुद्राक्ष करियर तथा व्यवसाय में सफलता दिलाने में सहायक होता है
एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को आर्थिक लाभ और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है
धन प्राप्ति में भी एकमुखी रुद्राक्ष सहायक होता है।
यदि कोई व्यक्ति यह रुद्राक्ष धारण करता है तो वह अपने क्रोध पर नियंत्रण पा सकता है
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति रक्त, हृदय, आँख और सिर आदि से संबंधित विकार से पीड़ित है तो उसके लिए यह रुद्राक्ष चमत्कारिक उपाय है|
यह रुद्राक्ष बुरी आदतों को छुड़वाने में सहायक है|
एक मुखी रुद्राक्ष में दैवीय शक्ति समाहित होती है, जिसका लाभ मनुष्य को मिलता है परंतु ध्यान रहे केवल वास्तविक रुद्राक्ष के द्वारा ही आप इन शक्तियों को प्राप्त कर सकते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष आपकी सभी समस्याओं का अंत करके आपके जीवन में ख़ुशहाली और संपन्नता लेकर आए।
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