विटामिन से दीजिए सौन्दर्य को कुन्दन सी दमक
Anamika Prakash Shrivastav | 22-Jun-2016
Views: 3595विटामिन की खोज ने हमारे भोजन की पौष्टिकता में क्रांति ला दी। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति इनका उपयोग करते है, ताकि ये उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकें।
विटामिन के पौष्टिक तत्वों से सभी लोग परिचित हैं, परन्तु उनके दूसरे घटकों को कम ही लोग जानते हैं।
हाल ही के वर्षों में हुए कुछ अनुसंधानों ने यह सिद्ध कर दिया हैं कि त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन का उपयोग आवश्यक हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन ए और इ सौन्दर्य वृद्धि में सहायक होते है। मुंहासे, धूप से प्रभावित त्वचा व उम्र से पहले बढ़ती आयु का अहसास कराती त्वचा के लिए विटामिन का उपयोग लाभदायक हो सकता हैं।
त्वचा के ऊपरी तंतु विटामिन ए की कमी से प्रभावित होते हैं। अत्याधिक रूखापन, परत उखड़ना, खाज और त्वचा के लचीलेपन का कम होना, सिर की त्वचा लाल हो जाना, फोड़़े-फंसी तथा आल निकलना, बालों का झड़ना, रूसी आदि भी विटामिन ए की कमी के कारण होते हैं। चिकनी, स्वच्छ त्वचा के लिए केवल विटामिन ए आवश्यक नहीं हैं। अन्य भी कई समस्याएं हैं, जिनमें यह लाभप्रद हो सकता हैं।?
रेटिनायक अम्ल (विटामिन ए अम्लयुक्त्) का उपयोग, जब मुंहासे के रोगियों पर किया गया तो उनकी त्वचा में बेहतरीन सुधार के परिणाम दृष्टिगोचर हुए।
मुंहासों की गम्भीर समस्या के उपचार के लिए ब्रितानी त्वचा रोग विशेषज्ञों ने हाल ही में खायी जानेवाली नयी औषधि रीएकुटेन से परिचित कराया। मुंहासे के विशेषज्ञ ब्रितानी डाॅ. विलियन कुनलिफे के अनुसार 90 प्रतिशत ऐसे रोगी जो गम्भीर मुंहासों से पीड़ित हैं, जिन्हें एंटीबायोटिक से कोई लाभ नहीं हुआ। उन्हे आइसोटेªटिनाइन से आशातीत लाभ हुआ। भारतीय त्वचा रोग विशेषज्ञ मुंहासे के रोगियों के लिए रेटिनायक अम्ल को तीव्र उत्तेजित मुंहासों के लिए देते हैं। उनका कहना हैं कि इसके प्रयोग 16 से 20 सप्ताह में उत्साहवर्धक परिणाम दिखलाइर्द देने लगते हैं।
यह महत्वपूर्ण हैं कि विटामिन ’’ए’’ का उपयोग चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाये, क्योंकि इसके विपरीत प्रभाव भी इस उपचार के दौरान कुछ रोगियों पर दिखलायी पड़़ते हैं। जैसे रूखापन, आंखों में जलन, लाली और प्रभावित क्षेत्र में संवेदनशीलता का बढ़ जाना आदि। इसका कारण हैं कि आइसोट्रेटिनाइन असमान्य प्रक्रिया के क्रम को विघटित कर देती हैं, जिसके कारण मुंहासे बनने की प्रक्रिया में अवरोध आ जाता हैं। यह सेबम के उत्पादन को रोक देती हैं। त्वचार के स्राव के रासायनिक प्रभाव को बदल देती हैं और सूजी हुई ग्रंथियां सिकुड़ जाती हैं। यह अवरूद्ध प्लग रहित फोलिकल द्वारा केरोटिन बनाने की क्रिया को भी कम कर देती हैं।
हर व्यक्ति की सहनश्ीालता प्रारम्भ में कम होती हैं, परन्तु धीरे-धीरे बढ़ जाती हैं। अतः रेटिनाॅयक अम्ल मलहम से धीरे-धीरे त्वचा को इसके प्रभाव के अनुकूल बनाता हैं। यह भी आवश्यक हैं कि इस उपचार को लेते समय धूप से बचा जाये।
अधिक उम्र के लोगों के लिए, विटामिन ’’ए’;’ अम्ल का परिणाम, बढ़ती उम्र और खराब त्वचा पर भी काफी लाभप्रद होता हैं। पेन्सिलवेनिया मेडिकल विश्वविद्यालय के त्वचा रोग विशेषज्ञों ने ’’विटामिन ए’’ के उपचार से बढ़ती उम्र के रोगियों पर संतोषप्रद परिणाम प्राप्त किये। विटामिन ए अम्ल में न केवल त्वचा के पुनर्निमाण और उसे ठीक करने के गुण होते हैं, बल्कि यह कोलेजन संश्लेषण को तेज कर देता हैं।
जलन, खुजली आदि प्रभाव इस उपचार लेने में अक्सर दिखलायी देते हैं, लेकिन बहुत से त्वचा रोग विशेषज्ञों का मानना हैं कि धूप से प्रभावित त्वचा या मुंहासों से लाल हुई त्वचा पर इस उपचार का लाभ अधिक होता हैं।
अधिकांश त्वचा रोग विशेषज्ञों की भविष्यवाणी हैं कि यह सौंदर्य प्रसाधन के रूप में जाना जाएगा हैं। सौन्दर्य प्रसाधन कम्पनी अब प्रसाधन में इसका उपयोग करने लगेंगी।
विटामिन इः
रूस के पौष्टिक आहारवेत्ताओं के अनुसार, यदि डाॅक्टरी देखरेख में बड़़ी उम्र के लोगों को विटामिन ए और इ दिया जाये तो झुर्रिया दूर हो सकती हैं। बहुत से पोषाहार विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि विटामिन इ युक्त आहार समय से पहले आनेवाले बुढ़़ापे में भी मदद कर सकता हैं। इससे त्वचा चिकनी हो सकती हैं। शुद्ध अल्फाटोकोफेराॅल (विटानिन इ) का उपयोग बहुत से प्लास्टिक शल्य-चिकित्सक स्टेराॅयड के विकल्प के रूप में करते हैं। इससे घाव भरने में मदद मिलती हैं और अच्छे परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं।
विटामिन इ एंटी आॅक्सीडेंट के रूप में भी प्रभावकारी हैं। बहुत से अस्पतालों में जल हुए रोगियों पर विटामिन इ का उपयोग, गोलियों के रूप में, घाव भरने के लिए तथा भद्दे धब्बों को बनानेवाले तंतुओं को रोकने के लिए किया जाता हैं।
प्रसाधन सामग्री उत्पादन करनेवाली कम्पनियां अब त्वचा की सुरक्षा प्रदान करनेवाले प्रसाधनों में विटामिन इ का प्रयोग करने लगी हैं। यह त्वचा की ऊपरी परत की जलन को ही कम नही करता, बल्कि त्वचा के तंतुओं को नष्ट होने से भी बचाता हैं।
भविष्य का स्वरूप
त्वचार रोग विशेषज्ञों का कहना हैं कि भविष्य में सौन्दर्य प्रसाधन आवश्यक जरूरत नहीं रह जायेंगे। काॅस्मेटिक और विभिन्न त्वचा की देखभाल के लिए उपयोगी उत्पाद में विटामिन का उपयोग अधिक होगा। इनके उपयोग से त्वचा न केवल, सुरक्षित रहेगी बल्कि अधिक समय तक उनकी खूबसूरती भी बरकरार रह सकेगी।