तैराकी से बनाइए शरीर को सुन्दर व सुडौल

Anamika Prakash Shrivastav | 22-Jun-2016

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तैराकी शरीर को सुन्दर एवं सुडौल बनानेवाला एक अत्यंत लाभप्रद व्यायाम हैं। इस व्यायाम से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। तैराकी से विशेषकर बांह, पांव, गला, टांग तथा पेट की मांसपेशियों को बल मिलता है। इसके साथ ही श्वसन क्रिया में सुधार आता हैं तथा हृदय स्पंदन के दर में तीव्रता जा जाती हैं। निष्कर्ष यह हैं कि तैराकी से शरीर चुस्त-दुरूस्त और स्वस्थ बनता हैं और इसकी कामना सभी व्यक्ति करते हैं। चैंपियन जैनी टर्सेल थकान दूर करने के लिए तैराकी को अत्यंत पसंद करती हैं। वे खेलकूद के लाभ को जानती हैं। इसीलिए उन्होंने 5 वर्ष की आयु से ही तैराकी, छः वर्ष की आयु से दौड़ तथा नौ वर्ष की आयु से अपने आपको इसमें नियमित रूप से व्यस्त कर लिया। उन्होनें तेरह वर्ष की अवस्था में विश्व रेकाॅर्ड तोड़ा था तथा कनाड़ा, टोक्यो, कोलंबिया तथा अपने शहर सिड़नी में तैराकी के कीर्तिमानों को पांच बार तोड़ा। जेमी ने आजकल तैराकी को व्यवसाय बना लिया हैं। आजकल वे अपना अधिकांश समय तैराकी का प्रशिक्षण देने में लगाती हैं। वे तैराकी की एक अथाॅरिटी भी हैं और उनके पास इस बात का उचित तर्क हैं कि तैराकी को क्यों अपने व्यायाम कार्यक्रम में सम्मिलित करें। वे कहती हैं, ’’तैराकी किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा सुविधानुसार प्रारम्भ की जा सकती हैं, लेकिन ध्यान रहें कि तैराकी उस पर अनुकूल प्रभाव डालें। कुछ बच्चों द्वारा अत्यंत छोटी अवस्था में ही व्यायाम शुरू किया जा सकता हैं। प्रौढ़ों को इसके द्वारा आनन्द की अनुभूति होती हैं और इसके कारण शरीर में होनेवाले दर्द से आराम मिलता हैं।’’ ’’तैराकी से शारीरिक वं मानसिक योग्यता में परिवर्तन आता हैं’’ इस बात की देखरेख करनेवाले डाॅ. मिलर कहते हैं, ’’तैराकी द्वारा सिर्फ ऊपर बतायी गयी बातों का ही लाभ नहीं होता हैं, अपितु यह और भी लाभ पहुँचाती हैं। ’’तैराकी करने से आप स्वस्थ एवं आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं। इसको करने से आप सरल हृदय के स्वामी बनते हैं। इसके कारण दूसरे व्यक्ति भी आप से खुश रहते हैं।’’ जब आप प्रसन्न रहते हैं तो इससे आप सभी के जीवन में सुधार लाते हैं। अध्ययन से यह पता चला हैं कि तैराकी से तनाव से राहत मिलता हैं। तनाव का मुख्य कारण परेशानी हैं, जबकि तैराकी करनेवालों ने इस बात का आभास किया हैं कि एक ही समय पर तैराकी तथा परेशानी का आभास नहीं हो सकता हैं। परेशानी तनाव को जन्म देती हैं तथा इसमें थकान, नींद नहीं आना, ज्यादा खाना, दर्द आदि का आभास होता हैं। अगर परेशानी निरन्तर बढ़़ती रहती हैं तो परिणामस्वरूप निराशा जन्म लेती हैं, अगर आपको परेशानी का अहसास हो जाता हैं तो प्रतिदिन तैरना शुरू कर दीजिए। तैराकी क्यों अच्छी हैं ? जेनी टर्सल का इसके प्रति अपना तर्क हैं, ’’जब आप दौड़ते, स्क्वेश खेलते, जाॅगिंग करते या कोई अन्य भाग-दौड़ का खेल खेलते हैं तो इससे आपके जोड़ों पर काफी दबाव पड़ता हैं। विशेषकर एड़ी पर ज्यादा र्जोर पड़ता हैं।’’ लेकिन जब आप तैरते हैं तो आपके शरीर पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ता हैं, न ही विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। तैरनेवालों के मेरूदंड पर निरन्तर एक दबाव कार्य करता रहता हैं। चाहे वह बैठा, खड़ा अथवा घूम रहा हो। ऊपर कही बात का यह अर्थ नहीं हैं कि तैराकी सिर्फ उनके लिए हैं, जिन्होने बचपन से सीखा हैं। यह सभी के लिए हैं। अगर आप पानी में जाने पर तैर नहीं पाते हैं, तो आप निःसंदेह पानी के भीतर डूबने लगेंगे, तैरने के लिए अपने पैरों को कैंची की तरह आगे पीछे चलाइए तथा अपने हाथों से पानी को अपनी ओर ढकेलिए। स्क्वेश तथा एथलेटिक्स की तरह आप अचानक तैरना बंद नहीं कर सकते। इसे तेज तथा धीरे दोनों रूपों में कर सकते हैं। धीरे-धीरे तैरना बुजुर्गों के लिए उत्तम हैं। जेनी का विचार हैं कि जितना ध्यान आप तैराकी को देते हैं,ख् उतना ही आप परेशानियों से दूर हो जायेंगे तथा तनाव मुक्त भी हो जायेंगें। तैराकी करने से आपकी दिनचर्या ही बदल जाती हैं। आपको कितनी भी थकान क्यों न हो तैराकी करने से सब दूरी हो जाती हैं। यह मानसिक तनाव मुक्ति प्रदान करता हैं तथा शरीर को सक्षम बनाता हैं। तैराकी हृदय को भी मजबूत बनाती हैं। इसे करने से हृदयरोग दूर हो जाता हैं।