घर में इस जगह न लगाएं मृत लोगों की फोटो, वरना बढ़ सकता है दुर्भाग्य

Indian Astrology | 01-May-2019

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पूजा-पाठ हम सभी की दैनिक दिनचर्या का प्रमुख अंग है। अपने ईष्ट देव का नित्य दर्शन-पूजन करना सफलता, सौभाग्य और जीवन में उन्नति तो देता ही है साथ ही इससे आत्मविश्वास बढ़ता है, मनोबल उंचा रहता है। इसीलिए हम सभी के घर में एक पूजा घर अवश्य होता है। जिसमें सुबह और सायं पूजा करना अतिशुभ माना जाता है। देखने में आया है कि कुछ लोग जानकारी के अभाव में घर के पूजा घर में परिवार के मृतजनों की तस्वीरें भी लगा देते हैं। जो वास्तुदोष तो देती ही है साथ ही भाग्य में कमी का कारण भी बनती है। यह सर्वविदित है कि मृत सदस्यों के साथ हमारी यादें और भावनाएं जुड़ी होती है। जिन्हें बनाए रखने के लिए हम सभी उनके चित्रों को फ्रेम कराकर मंदिर में लगा देते है। अपने देवताओं का पूजन करने के साथ साथ हम इनका भी पूजन करते हैं, इस प्रकार हम उन्हें सम्मान देना चाहते है। मृत सदस्यों को ईश्वर का दर्जा देना गलत नहीं है, परन्तु उनका पूजन देवताओं के साथ करना सही नहीं माना जाता है।

• वास्तु शास्त्र यह कहता है कि ऐसा करने पर हम अपने घर का वास्तु खराब कर रहे होते हैं। अपने घर में अशुभता को न्यौता दे रहे होते है। ऐसे में प्रश्न यह उठ्ता है कि यदि मृत सदस्यों के फोटो घर के पूजा घर में ना लगाएं तो कहां लगाएं। उनके लिए घर का कौन सा स्थान सही है। आज हम इस आलेख में यहीं बताने जा रहे है कि मृत सदस्यों की तस्वीरें घर में कहां लगानी चाहिए।

• मृत सदस्यों की तस्वीरें रखने के लिए घर के दक्षिणी-पश्चिमी दीवार का प्रयोग करना चाहिए। इस दीवार पर फोटो लगाना वास्तु सम्मत होता है और इसे शुभ भी माना जाता है। और देवताओं के लिए घर का उत्तर-पूर्वी स्थान अनुकूल माना जाता है। इसे ईशान कोण भी कहा जाता है। इस स्थान पर देव पूजन करने से देवता जल्द प्रसन्न होते है। ईशान कोण में मंदिर बनवाने से आर्थिक स्थिति बेहतर होती है।

• एक अन्य मत यह कहता है कि मृत व्यक्तियों की तस्वीरें उत्तर दिशा में लगाई जा सकती हैं, परन्तु इन्हें देवताओं के साथ लगाने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि मृत व्यक्तियों को देवताओं का स्थान देने से देवता रुष्ट हो जाते है। इससे बनते काम बिगड़ने लगते हैं और कार्यों में व्यर्थ की बाधाएं आने लगती है। घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि सही वस्तुएं घर में सही स्थान पर रखी जाएं।


पूजा करने के नियम कुछ इस प्रकार हैं-

• पूजा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह या तो पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए या फिर पश्चिम दिशा की ओर। मंदिर की दिशा पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र यह कहता है कि पूजा घर के लिए पूर्व-पश्चिम दिशा को शुभ माना जाता है।

• यह माना जाता है कि मंदिर पर सूर्य की किरणें आना शुभ माना जाता है। घर के अंदर सूर्य का प्रकाश आना बहुत शुभ माना जाता है। सूर्य के प्रकाश के साथ सकारात्मक ऊर्जा घर में वास करती है। इसके साथ ही यदि शुद्ध हवा भी घर में आए तो अतिशुभ रहेगा। सूर्य का प्रकाशौर शुद्ध हवा घर का वास्तु बेहतर करते है।

• घर के पूजन स्थल से जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए। जहां तक संभव हो पूजा घर में चमड़े की अन्य वस्तुएं भी रखना शुभ नहीं माना जाता।

• पूजा घर साफ सुथरा रखें और पूजन सामग्री पर्याप्त मात्रा में रखें। पूजा घर में बेकार की वस्तुएं रखने से बचना चाहिए।

• घर की दक्षिण पश्चिमी दिशा पूर्वजों की मानी जाती है। घर के बुजुर्गों का भी घर के इसी स्थान पर निवास होना चाहिए।

• इसके अलावा पश्चिम दिशा में भी मृत व्यक्तियों की तस्वीरें लगाई जा सकती है।

• ऐसा माना जाता है कि मंदिर में मृत लोगों की फोटो लगाने से पूजा-पाठ के कार्य सिद्धि नहीं देते है।

• वास्तु शास्त्र यह भी कहता है कि घर के मंदिर में देवी-देवताओं का पूजन नित्य होना चाहिए।

• घर में पूजा-पाठ होते रहने से सकारात्मक शक्तियां वास करती है। ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति आत्मविश्वास से पूर्ण रहते हैं और उनका मनोबल भी उच्च बना रहता है।

• शुभ कार्यों में विघ्न आते है और उन्नति बाधित होती है।

• घर के पूर्व-उत्तर स्थान का प्रयोग पढ़ाई के रुम के रुप में कर सकते हैं।

• मंदिर की साफ सफाई और पूजा की सामान्य प्रक्रियां का पालन करना चाहिए।

• इस प्रकार पूजा करने पर व्यक्ति की प्रार्थना शीघ्र ईश्वर स्वीकार करते है।

• शुद्ध हवा घर में जितनी अधिक आएगी, वास्तु दोष उतना ही अधिक कम रहेगा।

• पूजा घर में पूजा के सामान के अतिरिक्त अन्य कुछ सामान रखने से बचें।

• न्यूज पेपर, पत्रिकाएं और पुराने सामान रखने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

• यह भी माना जाता है कि जिस कमरे में व्यक्ति सोता है उस कमरे में मृत व्यक्तियों की तस्वीरें लगाना सही नहीं माना जाता है। शयन के कमरे में मृत व्यक्तियों की तस्वीरें लगाने से भी घर का वास्तु दोष उत्पन्न होता है।

• घर का वास्तु सम्मत होना, परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य सुख, उन्नति और सफलता देता है।

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है. कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिका फ्यूचर समाचार में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा, विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।