इन ग्रहों से पता चलता है बच्‍चा पढ़ाकू बनेगा या किताबों से चुराएगा मन

Indian Astrology | 21-Dec-2022

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बच्‍चों की परवरिश में उन्‍हें अच्‍छी शिक्षा उपलब्‍ध करवाना भी माता-पिता की जिम्‍मेदारी होती है। हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनके बच्‍चे को सर्वश्रेष्‍ठ शिक्षा प्राप्‍त हो सके। पैरेंट्स या बच्‍चे ही नहीं बल्कि ग्रह-नक्षत्र भी यह तय करते हैं कि बच्‍चा अपने करियर या शिक्षा के क्षेत्र में क्‍या करेगा और उसे किस तरह के अवसर प्राप्‍त होंगे और वो पढ़ाई में तेज रहेगा या पीछे रह जाएगा। आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि वैदिक ज्‍योतिष का शिक्षा से क्‍या संबंध है और बच्‍चों की पढ़ाई पर ग्रह क्‍या प्रभाव डालते हैं।

शिक्षा की जब बात आती है तो अन्‍य ग्रहों की तुलना में बुध और बृहस्‍पति को अधिक महत्‍व दिया जाता है। बच्‍चे के स्‍कूल, पढ़ाई और बौद्धिक विकास पर इन दो ग्रहों का महत्‍वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

वैदिक ज्‍योतिष में बृहस्‍पति को शिक्षा और ज्ञान का कारक माना गया है। जब गुरु पंचम भाव के स्‍वामी के साथ त्रिकोण या केंद्र में स्थित होता है, तो जातक को शिक्षा के क्षेत्र में उत्तम परिणाम प्राप्‍त होते हैं। बुध बुद्धि का कारक है और यह व्‍यक्‍ति की बुद्धि पर काम करता है। यदि कुंडली में बुध के साथ गुरु अच्‍छे स्‍थान पर बैठा हो तो व्‍यक्‍ति को बड़ी शैक्षिक उपलब्धियां मिलती हैं।

दूसरे भाव का महत्‍व

शिक्षा में सफलता मिलने का विश्लेषण करने में दूसरा भाव अहम भूमिका निभाता है। यह संकेत देता है कि बच्‍चे को अच्‍छी शिक्षा प्राप्‍त होगी। यदि कुंडली में दूसरे भाव में कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो प्राइमरी लेवल पर ही बच्‍चे को अच्‍छी शिक्षा प्राप्‍त होती है।

अगर इस भाव के स्‍वामी पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह कम उम्र में ही व्‍यक्‍ति की सीखने की क्षमता को अच्‍छा करता है। बुध या सूर्य का दूसरे भाव में होने का मतलब है कि व्‍यक्‍ति की वाणी मधुर होगी और वो दूसरों के साथ बातचीत करने में कुशल होगा।

बुध, शुक्र और सूर्य के दूसरे भाव में युति करने पर व्‍यक्‍ति को वेदों और अन्‍य शास्‍त्रों का ज्ञान प्राप्‍त होता है। किंतु इस तरह का ज्ञान भाैतिक सुखों के लाभ के लिए उपयुक्‍त नहीं होता है। यह दूसरों के कल्‍याण के लिए अधिक उत्तम होता है।

दूसरे भाव में मंगल, राहू या शनि जैसे अशुभ ग्रहों की मौजूदगी कटु वचन बुलवाती है, बोली में कड़वापन रहता है और बच्‍चे की पढ़ाई में बिलकुल भी रुचि नहीं होती है।

कुंडली का चौथा भाव

चौथा घर संवेदनशील और भावनात्मक संपत्ति का भाव है। इस भाव से संबंधित शिक्षा भावनात्‍मक या संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़ी हुई है। सात्विक ग्रहों जैसे कि सूर्य, चंद्रमा और बृहस्‍पति का चौथे भाव में होने का मतलब है कि बच्‍चा सामाजिक, अध्‍यात्‍म या दार्शनिक क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्‍त करेगा।

राजसी ग्रहों जैसे कि बुध और शुक्र का चतुर्थ भाव में होने का संकेत है कि बच्‍चा राजनीतिक क्षेत्र में शिक्षा हासिल करेगा। 

सूर्य और बुध का चतुर्थ भाव में होने का अर्थ है व्‍यक्‍ति गणित या ज्‍योतिष में सफलता की ऊंचाईयों पर जाएगा। बृहस्‍पति कानूनी शिक्षा का समर्थन करता है। इसलिए अगर यह ग्रह उच्‍च स्‍थान में बैठा है या अपने ही घर में विराजमान है, तो व्‍यक्‍ति उच्‍च कानूनी शिक्षा प्राप्‍त करता है।

पंचम भाव का महत्‍व

जन्‍मकुंडली में पंचम भाव सबसे ज्‍यादा शुभ माना जाता है। यह भाव बताता है कि व्‍यक्‍ति को अपनी बुद्धि के अनुसार शिक्षा प्राप्‍त होगी। पंचम भाव में विराजमान ग्रहों के आधार पर ही यह तय होता है कि व्‍यक्‍ति किस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा।

पंचम भाव के मजबूत होने पर व्‍यक्‍ति सही समय पर सही निर्णय ले पाता है। पंचम भाव में सूर्य और राहू के होने पर व्‍यक्‍ति तकनीकी, वैज्ञानिक और मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा प्राप्‍त करता है।

शिक्षा को प्रभावित करने वाले अन्‍य कारक

जब कुंडली के दशम भाव में उपस्थित ग्रह की दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ रही होती है, तो यह व्‍यक्‍ति की भावनात्‍मक ताकत को प्रभावित करात है। सूर्य, मंगल और राहू का दशम भाव में होने का मतलब है कि व्‍यक्‍ति राजनीति विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्र में ज्ञान प्राप्‍त करेगा। 

सूर्य, चंद्रमा और शनि का दशम भाव में होने का मतलब है कि उसकी रुचि आध्‍यात्मिक लेखन में होगी। वहीं बृहस्‍पति और बुध संकेते देते हैं कि व्‍यापार और कॉमर्स में बच्‍चा शिक्षा प्राप्‍त करेगा। चंद्रमा और शुक्र का दशम भाव में होने का मतलब है कि बच्‍चा ऐस्‍थेटिक प्रोफेशन में अपना करियर बनाएगा।

वहीं अगर ग्‍यारहवें घर में मौजूद ग्रहों की दृष्टि सीधा पचंम भाव पर पड़ रही हो तो इसका शिक्षा के क्षेत्र का चयन करने पर मजबूत प्रभाव पड़ता है। 11वें भाव में अशुभ ग्रहों की उपस्थिति शिक्षा में अड़चनें पैदा करने का काम करती है। वहीं अगर 11वें भाव में शुभ ग्रह विराजमान हों, तो व्‍यक्‍ति को किसी भी क्षेत्र में अच्‍छी शिक्षा प्राप्‍त होती है।

ज्‍योतिष के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र का चयन

जन्म कुंडली में सूर्य का मजबूत होना इंजीनियरिंग, चिकित्सा, राजनीति विज्ञान या कानून से संबंधित करियर में उत्कृष्टता दर्शाता है।

10वें या 5वें भाव में चंद्रमा की मजबूत स्थिति रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, होटल मैनेजमेंट, पर्यटन, संगीत, मरीन इंजीनियरिंग या नृत्य से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने का संकेत देती है।

कुंडली में मजबूत स्थिति में मंगल का होना सेना, भौतिकी, राजनीति विज्ञान, कंप्यूटर हार्डवेयर या इलेक्ट्रॉनिक्स में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का प्रतिनिधित्व करता है।

कुंडली में मजबूत स्थिति में बुध का होना कॉमर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंसी, कंपनी सचिव या सामाजिक विज्ञान से संबंधित अध्ययन का प्रतिनिधित्व करता है।

बृहस्पति भाषा के क्षेत्र जैसे हिंदी, संस्कृत, सामाजिक विज्ञान, राजनीति विज्ञान, दर्शनशास्त्र, पत्रकारिता और अन्य संबंधित क्षेत्रों की ओर मजबूत झुकाव देता है।

सॉफ्टवेयर विकास, होटल प्रबंधन, पर्यटन, नृत्य, संगीत, वनस्पति विज्ञान या संचार जैसे क्षेत्रों में शुक्र की मजबूत पकड़ है। यदि शनि के साथ शुक्र हो तो व्‍यक्‍ति की संस्कृत की ओर रुचि अधिक रहती है।

शनि का संबंध कंप्यूटर हार्डवेयर, विदेशी भाषाओं, कानून, दर्शन आदि के अध्ययन से है।

राहु कंप्यूटर हार्डवेयर, मेडिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, गणित या कानून से संबंधित अध्ययन में विशेषज्ञता प्राप्त करने का संकेत देता है।

केतु भौतिकी, राजनीति विज्ञान, कंप्यूटर हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स या अन्य संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करने का संकेत देता है।