जानिए, कुंडली के वह योग जो आपके जीवन मे निराशा व परेशानियां लाते हैं और उनको कम करने के उपाय।
Indian Astrology | 24-Sep-2019
Views: 6255ज्योतिष्य शास्त्र अनुसार जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग होते हैं, यदि शुभ योगों की संख्या अधिक है तो साधारण परिस्थितियों में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी धनी, सुखी और पराक्रमी बनता है, परन्तु यदि अशुभ योग अधिक प्रबल हैं तो व्यक्ति लाख प्रयासों के बाद भी हमेशा संकटग्रस्त ही रहता है. व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रहों पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि या शुभ ग्रहों से अधिक प्रबल अशुभ ग्रहों के होने से दुर्योगों का निर्माण होता है।
कुंडली मे वह योग जिनके कारण व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, एवं उन दोष-योग को कम करने के उपाय-
- केमदु्रम योग:
इस योग का निर्माण चंद्र के कारण होता है, कुंडली में जब चंद्र द्वितीय या द्वादश भाव में हो और चंद्र के आगे और पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह न हो तो केमद्रुम योग का निर्माण होता है, जिस कुंडली में यह योग होता है वह जीवनभर धन की कमी से जूझता रहता है, उसके जीवन में पल-प्रतिपल संकट आते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति हौसले से उनका सामना करता रहता है।
उपाय:
इस योग का प्रभाव कम करने के लिए गणेश और महालक्ष्मी की साधना करें, शुक्रवार को लाल गुलाब के पुष्प से महालक्ष्मी का पूजन करें, मिश्री का भोग लगाएं, चंद्र से संबंधित वस्तुएं दूध-दही का दान करें।
- ग्रहण योग-
कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है, यदि इन ग्रह स्थिति में सूर्य भी जुड़ जाए तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति अत्यंत खराब रहती है, उसका मस्तिष्क स्थिर नहीं रहता। कार्य में बार-बार बदलाव होता है, बार-बार नौकरी और शहर बदलना पड़ता है, कई बार देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे तक पड़ सकते हैं।
उपाय:
ग्रहण योग का प्रभाव कम करने के लिए सूर्य और चंद्र की आराधना लाभ देती है। आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। शुक्ल पक्ष के चंद्रमा के नियमित दर्शन करें।
- चांडाल योग-
कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु का उपस्थित होना चांडाल योग का निर्माण करता है, इसे गुरु चांडाल योग भी कहते हैं, इस योग का सर्वाधिक प्रभाव शिक्षा और धन पर होता है, जिस व्यक्ति की कुंडली में चांडाल योग होता है वह शिक्षा के क्षेत्र में असफल होता है और कर्ज में डूबा रहता है।
उपाय:
चांडाल योग का प्रभाव प्रकृति और पर्यावरण पर भी पड़ता है, चांडाल योग की निवृत्ति के लिए गुरुवार को पीली दालों का दान किसी जरूरतमंद को करें, पीली मिठाई का भोग गणेशजी को लगाएं, स्वयं संभव हो तो गुरुवार का व्रत करें, एक समय भोजन करें और भोजन में पहली वस्तु बेसन की उपयोग करें।
- कुज योग-
मंगल जब लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो कुज योग बनता है इसे मांगलिक दोष भी कहते हैं, जिस स्त्री या पुरुष की कुंडली में कुज दोष हो उनका वैवाहिक जीवन कष्टप्रद रहता है इसीलिए विवाह से पूर्व भावी वर-वधु की कुंडली मिलाना आवश्यक है, पयदि दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष है तो ही विवाह किया जाना चाहिए।
उपाय:
मंगलदोष की समाप्ति के लिए पीपल और वटवृक्ष में नियमित जल अर्पित करें, लाल तिकोना मूंगा तांबे में धारण करना चाहिए, मंगल के जाप करवाएं या मंगलदोष निवारण पूजन करवाएं।
- षड्यंत्र योग-
यदि लग्नेश आठवें घर में बैठा हो और उसके साथ कोई शुभ ग्रह न हो तो षड्यंत्र योग का निर्माण होता है, यह योग अत्यंत खराब माना जाता है, जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग हो वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है, धोखे से उसका धन-संपत्ति छीनी जा सकती है, विपरीत लिंगी व्यक्ति इन्हें किसी मुसीबत में फंसा सकते हैं।
उपाय:
इस दोष की निवृत्ति के लिए शिव परिवार का पूजन करना चाहिए, सोमवार को शिवलिंग पर सफेद आंकड़े का पुष्प और सात बिल्व पत्र चढ़ाएं, शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
- भाव नाश योग-
जन्मकुंडली जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं, उदाहरण के लिए यदि धन स्थान की राशि मेष है और इसका स्वामी मंगल छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो धन स्थान के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
उपाय:
जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है उससे संबंधित वार को हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए, उस ग्रह से संबधित रत्न धारण करके भाव का प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।
- अल्पायु योग-
कुंडली में चंद्र पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है, जिस कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है उसकी आयु कम होती है।
उपाय:
कुंडली में बने अल्पायु योग की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज जप करना चाहिए, बुरे कार्यों से दूर रहे, और दान-पुण्य करते रहें।
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