कालसर्प दोष निवारण यंत्र से मिलती है हर बाधा से मुक्ति,
Indian Astrology | 08-Apr-2020
Views: 6522ज्योतिष के अनुसार किसी भी जन्मकुंडली में बनने वाले दोषों में से कालसर्प दोष सबसे अशुभकारक दोष माना जाता है, इस दोष के कारण परिश्रम का मनवांछित परिणाम नहीं मिलता और कोई न कोई कमी खटकती रहती है| कुंडली में प्रबल कालसर्प योग के बनने से जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हानि उठानी पड़ती है। इस दोष की प्रचंडता के चलते अनेक ज्योतिषी इस दोष के निवारण के लिए किये जा सकने वाले उपायों पर निरंतर शोध करते रहते हैं। कालसर्प दोष निवारण यंत्र का प्रयोग इस दोष के निवारण के लिए अथवा इस दोष से होने वाली क्षति को कम करने के लिए किया जाता है| इस यंत्र का प्रयोग कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है, कालसर्प दोष निवारण यंत्र का प्रयोग अनेक वैदिक ज्योतिषी किसी कुंडली में उपस्थित कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए करते हैं इस यंत्र का प्रयोग करने पर कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को इस दोष के प्रभाव से छुटकारा प्राप्त हो सकता है। कुछ स्थितियों में इस यंत्र का प्रयोग कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के साथ साथ जातक को शुभ फल प्रदान करने में भी किया जाता है| विशेषतया उस स्थिति में जब जातक इस यंत्र को विधिवत स्थापित करके अपने नियम, अनुशासन तथा निष्ठा के चलते इस यंत्र के साथ शक्तिशाली संबंध स्थापित करने में सफल हो जाता है जिससे इस यंत्र में निवास करने वाले नाग देवता जातक से प्रसन्न होकर उसे शुभ फल भी प्रदान करते हैं। इस यंत्र में अन्य 12 यंत्रों को लगाया गया है| जिससे इस यंत्र की शक्ति कई गुना बाद जाती है|
कालसर्प दोष का प्रभाव-
यह दोष जिस जातक की कुंडली में होता है, उसके जीवन में पग-पग पर बाधाएं आती हैं। विशेषकर राहु एवं केतु की दशा/अंतर्दशा के समय में जातक आर्थिक, व्यावसायिक एवं मानसिक उलझनों से निकल नहीं पाता तथा बहुधा दीनता या हीनता का शिकार हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि अन्य ग्रह योग बलवान न हों तो कालसर्प योग में जन्मे बालक की मृत्यु तत्काल हो जाती है। जन्मकुंडली में जब सारे ग्रह राहु-केतु के एक ही ओर अवस्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। अतः कालसर्प योग जिस किसी भी जातक/जातिका के जन्मांग में है, ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है। इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती, यश नहीं मिल पाता, सुख-समृद्धि एवं पारिवारिक जीवन में निरंतर बाधा उपस्थित होती है। कुछ भी काफी विलंब एवं मुश्किल के उपरांत प्राप्त होता है। कालसर्प दोष के निवारण के अनेक शास्त्रसम्मत विधान ज्योतिर्विदों एवं विद्वानों ने बताए हैं जिनके अपनाने से अभीष्ट लाभ प्राप्त होता है। इन उपायों में त्रिविध साधन यानि तंत्र-मंत्र-यंत्र सर्वोपरि हैं। तंत्र साधना आमजनों के वश की बात नहीं है। अतः इसीलिए, विद्वानों ने कालसर्प दोष निवारण यंत्र की स्थापना करके विधिवत् उसके पूजन तथा कालसर्प मंत्र के उच्चारण को श्रेष्ठ एवं सर्वसाधारण के लिए सर्वथा उपयुक्त माना है।
शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा :-
कालसर्प दोष निवारण यंत्र से प्राप्त होने वाले लाभ व्यक्ति को तभी मिल सकते हैं जब जातक द्वारा स्थापित किया जाने वाला कालसर्प दोष निवारण यंत्र सम्पूर्ण विधि के साथ बनाया गया हो जिसमें इस यंत्र के शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा जैसे अति महत्वपूर्ण चरण सम्मिलित हैं। प्राण प्रतिष्ठा करवाए बिना ही किसी भी कालसर्प दोष निवारण यंत्र को स्थापित कर लेना कोई विशेष लाभ प्रदान नहीं करता। इसलिए कालसर्प दोष निवारण यंत्र को स्थापित करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका यंत्र विधिवत बनाया गया तथा प्राण प्रतिष्ठित हो। प्राण प्रतिष्ठित काल सर्प यंत्र को गृह, या कार्यालय में रखने से कालसर्पदोष के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है| कालसर्प यंत्र पूजन से वास्तु दोष, पितृ दोष एवं अन्य ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है| इस यंत्र को दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करें| सर्प गायत्री मन्त्र का जप कालसर्प यंत्र के सम्मुख करना चाहिए, ''ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्''| सोमवार प्रातःकाल स्नानादि से निवृत होकर, यंत्र पर गंगाजल छिड़ककर, उसे स्वच्छ वस्त्र से पोंछ लें और श्रद्धा पूर्वक स्थापित करें| इसके सम्मुख घी का दिया जलाएं, श्वेत पुष्प अर्पित करें और रुद्राक्ष की माला पर निम्न मन्त्र का १०८ बार जप करें| काल सर्प यंत्र के लिए शिव के पंचाक्षर मंत्र "ऊं नमः शिवाय: का जाप करना चाहिए। कालसर्प दोष निवारण यंत्र की नियमित रूप से पूजा करने से आपके और आपके कालसर्प दोष निवारण यंत्र के मध्य एक शक्तिशाली संबंध स्थापित हो जाता है जिसके कारण यह यंत्र आपको अधिक से अधिक लाभ प्रदान करता है।
इस यंत्र के प्रभाव से जीवन की हर कामना पूर्ण हो जाती है। जातक में दृढ़ ईच्छाशक्ति का संचार होना प्रारंभ हो जाता है तथा वह स्वयं को भाग्यशाली एवं असाधारण व्यक्तित्व का धनी समझने लगता है। उसका व्यवहार भी दयालु, परोपकारी एवं कर्तव्यनिष्ठ हो जाता है। तथा सामाजिक न्याय के प्रति अपना यथेष्ट योगदान देने के लिए वह तत्पर हो जाता है। उसके इस असाधारण व्यक्तित्व से समाज में उसकी गरिमा एवं प्रतिष्ठा बढ़ती है जिससे सभी लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
कालसर्प दोष निवारण यन्त्र के लाभ-
- कालसर्प दोष निवारण यंत्र के प्रभाव से व्यक्ति को मुसीबतों से लडने की शक्ति और साहस मिलता है।
- इस यंत्र को स्थापित करने से कालसर्प दोष के प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- यह यंत्र आपको बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है।
- कालसर्प दोष निवारण यंत्र जहाँ स्थापित किया जाता है, वह उस जगह को पवित्र व शुद्ध करता है।
- इस यंत्र की मदद से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ दूर हो जाती है।
- इस यंत्र को अपने घर या कारोबार में स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- इस यंत्र का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए उचित स्थान पर स्थापित करना आवश्यक है। गलत स्थान पर स्थापित करने से आपको इस यंत्र का लाभ प्राप्त नहीं होगा।
- कालसर्प दोष निवारण यंत्र किस दिशा मे स्थापित किया जाए जहाँ इसके प्रभाव में निरंतर वृद्धि हो।
कालसर्प दोष निवारण यंत्र के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमसे इंडियन एस्ट्रोलॉजी के माध्यम से संपर्क कर सकते है।