माघ पूर्णिमा पर ज़रूर करवाएं सत्यनारायण पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

Indian Astrology | 05-Feb-2020

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माघ पूर्णिमा पर ज़रूर करवाएं सत्यनारायण पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना माघी पूर्णिमा (Magh Purnima 2020) पर स्नान व दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। क्योंकि माघ का महीना भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है इसलिए इस दिन सत्यनारायण पूजा (Satyanarayan Puja) करवाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि माघ स्नान कर इस दिन भगवान सत्यनारायण का व्रत व पूजन करने से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस बार माघ पूर्णिमा 9 फरवरी को है। आइए, जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त, सत्यनारायण व्रत एवं पूजन विधि व इसके महत्व के बारे में...

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माघ पूर्णिमा 2020: तिथि व शुभ मुहूर्त

  • माघ पूर्णिमा का दिन: फरवरी 9, 2020
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: दोपहर 1:31 बजे (फरवरी 8, 2020)
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: सुबह 10:32 बजे (फरवरी 9, 2020)

माघ पूर्णिमा पर स्नान व दान का महत्व

माघ पूर्णिमा माघ मास का अंतिम दिन होता है। यदि कोई व्यक्ति पूरे माघ माह में पवित्र नदी में स्नान न कर पाए तो वह इस दिन स्नान कर सकता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन स्नान व दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आप पर उनकी कृपा बनी रहती है। वैज्ञानिक नज़रिए से भी इस दिन स्नान करने का महत्व है। क्योंकि इस दौरान मौसम में परिवर्तन होता है। शरद ऋतु जा रही होती है और मौसम पहले की तरह ठंडा नहीं होता। इसलिए पवित्र स्नान के लिए यह माह उपयुक्त होता है। इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन श्री सत्यनारायण पूजा करवाने के बाद आप कंबल, तिल और गुड़ आदि दान कर सकते हैं।

माघ पूर्णिमा 2020: सत्यनारायण व्रत और पूजा

सत्यनारायण पूजा प्रत्येक माह की संक्रांति या पूर्णिमा के दिन की जाती है। वैसे तो आप इस पूजा को किसी भी दिन करवा सकते हैं लेकिन माघ पूर्णिमा का दिन इस पूजा के लिए बेहद शुभ माना गया है। सत्यनारायण पूजा भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। भगवान नारायण विष्णु जी का ही एक अन्य रूप हैं। भगवान विष्णु के इस रूप को सत्य का अवतार माना जाता है। इसलिए इस दिन श्री सत्यनारायण पूजन जीवन में सत्य के महत्व को दर्शाता है। श्रद्धालु यह पूजा पूर्णिमा के दिन प्रात: या सायंकाल किसी भी समय करवा सकते हैं लेकिन इसे सायंकाल में करवाना ज़्यादा उपयुक्त होता है क्योंकि पूजा के बाद श्रद्धालु अपना व्रत खोल सकते हैं।

सत्यनारायण पूजा का पौराणिक महत्व

शास्त्रों एवं पुराणों में सत्यनारायण व्रत और पूजा के महात्मय का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसका सबसे पहला उल्लेख स्कंद पुराण (Skanda Purana) के रेवा कांड (Reva Kanda) में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार श्री नारद मुनि (Narad Muni) ने मृत्यु लोक (MrityuLok) यानी पृथ्वी की यात्रा के दौरान देखा कि यहां के सभी जीव बेहद कष्टों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनमें से कईयों के पास खाने को अन्न तक नहीं है। यह सब देखने के बाद श्री नारद मुनि भगवान विष्णु के पास गएं और उनसे इसका समाधान करने को कहा। तब भगवान विष्णु ने इसके निवारण के रूप में विधि पूर्वक सत्यनारायण व्रत और पूजा करने को कहा। पुराणों में इस व्रत की पूरी विधि दी गई है। यदि यह पूजा पुराणों में दी गई विधि के अनुसार की जाए तो मनुष्य को सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

सत्यनारायण पूजा कराने से लाभ

माघ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा करवाने का विशेष महत्व है। इस दिन श्री सत्यनारायण पूजा करवाने से आपको निम्न लाभ होंगे:

  • सत्यनारायण पूजा करवाने से गृह क्लेश दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • यह आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर मज़बूत बनाती है।
  • यह सत्य के महत्व पर बल देती है। इसलिए सत्यनारायण की पूजा करते हुए आप सत्य के मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं।
  • सत्यनारायण पूजा में परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं इसलिए इससे परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और बंधुता की भावना उत्पन्न होती है।
  • पूजा समाप्त होने के बाद सत्यनारायण कथा सुनी जाती है और कीर्तन किया जाता है। जब आप भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं या भक्ति गीत गाते हैं तो आपका मन इधर-उधर नहीं भटकता। आप अध्यात्म की ओर बढ़कर आंतरिक सुख का आभास करते हैं।
  • इसके महत्वपूर्ण अनुष्ठान के रूप में इस दिन जितना संभव हो सके उतने अधिक दोस्तों, रिश्तेदारों को आमंत्रित करें और उन्हें विभिन्न प्रकार के फल दें। मान्यता है कि इस दिन फल ग्रहण करने से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं।
  • सत्यनारायण पूजा करवाने से आपको शिक्षा, करियर, वित्त, कारोबार, विवाह व अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
  • कोई भी नया कार्य शुरु करने (जैसे कि गृह प्रवेश, विवाह, नई नौकरी लगने या कोई नया कारोबार शुरु करने) से पूर्व सत्यनारायण पूजा अवश्य कराएं। इससे आपको नए कार्य में सफलता मिलेगी।

सत्यनारायण पूजा की अन्य तिथियां

सत्यनारायण पूजा प्रत्येक माह करवाई जा सकती है। 2020 में श्री सत्यनारायण पूजा के शुभ दिन निम्न हैं:

  • माघ, शुक्ल पूर्णिमा: शनिवार, फरवरी 8, 2020
  • फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा: सोमवार, मार्च 9, 2020
  • चैत्र, शुक्ल पूर्णिमा: मंगलवार, अप्रैल 7, 2020
  • वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा: गुरुवार, मई 7, 2020
  • ज्येष्ठ, शुक्ल पूर्णिमा: शुक्रवार, जून 5, 2020
  • आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा: शनिवार, जुलाई 4, 2020
  • श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा: सोमवार, अगस्त 3, 2020
  • भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा: मंगलवार, सितंबर 1, 2020
  • अश्विन, शुक्ल पूर्णिमा: गुरुवार, अक्टूबर 1, 2020
  • अश्विन, शुक्ल पूर्णिमा: शनिवार, अक्टूबर 31, 2020
  • कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा: रविवार, नवंबर 29, 2020
  • मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा: मंगलवार, दिसंबर 29, 2020

कैसे कराएं श्री सत्यनारायण पूजा?

सत्य नारायण पूजा करवाते वक्त कुछ विशेष वैदिक नियमों का पालन करना पड़ता है। सही विधि से करवाई गई पूजा से ही उचित फल मिलते हैं। इसलिए किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही यह पूजा करवाएं। आप फ्यूचर पोइंट (Future Point) पर सत्यनारायण पूजा की ऑनलाइन बुकिंग (Book Online Satyanarayan Puja) कर सकते हैं। फ्यूचर पोइंट योग्य और अनुभवी पंडितों द्वारा यह पूजा करवाता है।

श्री सत्यनारायण व्रत कथा

सत्यनारायण व्रत कथा स्कंद पुराण के रेवा खंड से संकलित की गई है। भविष्यपुराण के प्रतिसर्ग पर्व में इस कथा को बेहद रोचक ढंग से दिया गया है। कोई भी नया काम शुरु करने या कोई भी मनोकामना पूर्ण होने पर सत्यनारायण कथा सुनी जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा सुनने का विशेष महत्व है। आप यह कथा खुद पढ़ सकते हैं या किसी योग्य पंडित से सुन सकते हैं। सत्यनारायण कथा के दो भाग हैं- पहला, व्रत पूजा और दूसरा कथा । इस कथा में कुल 5 प्रसंग दिए गए हैं:

1. शतानन् ब्राह्मण की कथा
2. राजा चन्द्रचूड का आख्यान
3. लकड़हारों की कथा
4. साधु वणिक एवं जा माता की कथा
5. लीलावती और कलावती की कथा

इन सभी प्रसंगों का सार यही है कि सत्यनारायण कथा के श्रवण अर्थात् उसे सुनने से सभी कष्ट दूर होते हैं और हर मनोकामना पूर्ण होती है। कलियुग में जहां अनेक कठोर अनुष्ठान करने पड़ते हैं वहीं इस कथा को सुनने भर से 100 यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है।