राजा को रंक बना देता है, केमद्रुम नामक दुर्योग, जाने इसके लक्षण प्रभाव और उपायों के बारे में,
Indian Astrology | 19-Mar-2020
Views: 7091चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट और पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाला ग्रह है, इसका सीधा असर व्यक्ति के मन और संस्कारों पर पड़ता है, वेद में कहा भी गया है “चन्द्रमा मनसो जाताश्चक्षो सूर्यो अजायत.” इस प्रकार हम देखते है कि चन्द्रमा का मन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, इसीलिए समस्त प्राणियों के लिए मानसिक सुख शान्ति का प्रभाव कारक ग्रह चन्द्रमा माना गया है, चन्द्रमा एक जल तत्त्व ग्रह है, पौराणिक मतानुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र से मानी गयी है, यह एक अत्यंत शीतल ग्रह है, संभवतः इसीलिए आशुतोष भगवान शिव इसे अपने सिर पर धारण किये रहते है| वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा है मन, और मन जब अकेला पड़ जाता है तो इस केमद्रुम नामक दुर्योग का निर्माण होता है, क्योंकि मन के बिना व्यक्ति का कोई भी कार्य नहीं हो सकता, यदि जन्मकुंडली में केमद्रुम नामक दुर्योग हो तो बहुत सारे शुभ योग निष्फल हो जाते हैं, यह व्यक्ति को मानसिक पीड़ा और दरिद्रता देता है, धन को लेकर खूब उतार-चढ़ाव होते हैं। मन में भटकाव एवं असंतुष्टी की स्थिति बनी रहती है| इसके कारण व्यक्ति को माता का सुख नहीं मिलता। इसीलिए ज्योतिष के अनेक विद्वान इसे दुर्भाग्य का सूचक कहते हें, केमद्रुम योग कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में ज्यादा ख़राब होता है।
जन्मकुंडली में चन्द्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो, और उससे आगे व पीछे वाले भाव अर्थात उससे दूसरे और बारहवे भाव में कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम नामक दुर्योग बनता है, केमद्रुम दोष में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा ही परेशान रहता है, और उसके जीवन काल में बहुत सी परेशानियां और कठिनाइयां आती है, ऐसे व्यक्ति जीवन काल में उंचाईयों को छूकर जमीन पर आ जाते है, सब कुछ पाने के बाद अपने ही द्वारा लिए गए निर्णयों से सब कुछ खो बैठता है, आर्थिक रूप से ऐसे व्यक्ति कमजोर ही रहते हैं, जीवन में अनेकों बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है, लेकिन ये बात तो तय है कि ये लोग जीवन में एक बार तो जरूर बुलंदियों को हासिल करते हैं, भले ही बाद में अपने गलत निर्णयों के द्वारा सब कुछ खो देते हों| इस दुर्योग का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव जातक कि मनोदशा पर पड़ता है, इसमें जातक की लड़ाई अपने मन से होती है, और वे अपने गलत निर्णयों से बर्बाद होता रहता है| कुछ विशेष योगों के कारण, और उपायों को करने से केमद्रुम नामक दुर्योग भंग या निष्क्रिय भी हो जाता है|
केमद्रुम नामक दुर्योग को भंग करने वाले प्रमुख योग-
केमद्रुम नामक दुर्योग कुछ विशेष परिस्थितियों में भंग माना जाता है, लेकिन व्यवहार में देखा गया है कि इसका बुरा प्रभाव पूर्णतः समाप्त तो नहीं होता, लेकिन इसके दुष्प्रभाव में काफी हद तक अंतर आ जाता है, और यदि इसके साथ उपाय भी किये जाएँ तो व्यक्ति इससे मुक्ति पा सकता है|
- चंद्रमा और गुरु के मध्य गजकेसरी नामक शुभ योग का निर्माण हो रहा हो।
- चंद्रमा पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो।
- चंद्रमा और गुरु के मध्य भाव-परिवर्तन का संबंध बन रहा हो।
- चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्रमा पर दृष्टि डाल रहा हो।
- चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्न में स्थित हो।
- चंद्रमा स्थित राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो।
- चंद्रमा स्थित राशि का स्वामी चंद्रमा से भाव परिवर्तन का संबंध बना रहा हो।
- चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो।
- लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्ही दो भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो।
- चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो।
इन प्रमुख हस्तियों की कुंडलियों में केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में परिवर्तित हुआ है, महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, बिल गेट्स, देवानंद, राजकपूर, ऋषि कपूर, शत्रुध्न सिन्हा, अमीषा पटेल, अजय देवगन, राहुल गांधी, जवागल श्री नाथ, मेनका गांधी, तथा अनुपम खेर आदि सुप्रसिद्ध जातकों की कुंडलियों में केमद्रुम योग भंग की स्थिति पायी गयी है।
केमद्रुम दोष से बचने के उपाय-
- सोमवार के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर पवित्र शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने एवं पूजन करने से लाभ होता है, इसके साथ ही भगवान शंकर और माता पार्वती का भी पूजन करें, और रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र " ऊँ नम: शिवाय" का जाप करें,
- व्यक्ति अपने घर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करें और नियमित रूप से श्रीसूक्त का पाठ करें, इस शंख में जल भरकर देवी लक्ष्मी की मूर्ति पर चढ़ाएं एवं चांदी के श्रीयंत्र में मोती धारण करें,
- अपनी माता की सेवा करें, और नित्य सायं काल में "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः" मन्त्र का जाप करें
- इस योग के प्रभाव को कम करने के लिए सोमवार की पूर्णिमा अथवा सोमवार को चित्रा नक्षत्र के दौरान लगातार चार वर्ष तक पूर्णमाशी का व्रत रखना चाहिए,
- शरीर पर चांदी जरूर धारण करें और चद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान सोमवार के दिन करें जैसे, दूध, दही, आईसक्रीम, चावल, चीनी पानी आदि,
- रुद्राक्ष की माला धारण करें, और भोलेनाथ की भक्ति करें, ऐसा करने से केमद्रुम दोष का प्रभाव ख़तम हो जाता है,
- इस दोष से पीड़ित व्यक्ति अपने घर में कनकधारा यन्त्र को स्थापित कर नित्य उसके आगे कनकधारा स्तोत्र का 3 बार पाठ करें, दाहिने हाथ की कनिष्टिका ऊँगली में सवा सात रत्ती का मोती रत्न चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के सोमवार को धारण करें, और पूर्णिमा का व्रत रखें,
- चंद्रमा के बीज मंत्र या तांत्रिक मंत्र का दस माला जप नियमित रूप से करें।
- दो मुखी, चार मुखी व पांच मुखी रुद्राक्षों को रुद्राक्ष मंत्रों से अभिमंत्रित कर लाॅकेट बनाकर धारण करें।
- केमद्रुम नामक दुर्योग से पीड़ित व्यक्ति माघ पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करे, और भोजन, घी, कपास, सफेद वस्त्र एवं चाँदी का दान करें तो इस दुर्योग से शांति मिलती है।
- किसी योग्य ब्राह्मण से रुद्राभिषेक करवाएं, और शिवलिंग का नित्य दर्शन व पूजन करें।
- अपने प्रत्येक जन्म दिवस पर महामृत्युंजय मंत्र का जप करें या कराएं।
भगवान शिव के साथ-साथ माता लक्ष्मी की स्तुति भी विशेष रूप से लाभकारी होती है। लेकिन ऐसा करने में परेशानी यह हो सकती है कि कहीं आप मंत्रोच्चारण सही तरीके से न कर पायें तो, या फिर आपको पूजा की विधि ही ज्ञात न हो इसलिये हमारी सलाह है कि इसके लिये ज्योतिषशास्त्र में पारंगत किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य की सहायता लें।
इंडियन एस्ट्रोलॉजी के माध्यम से केमद्रुम दोष के निवारण के लिए अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाएं, और अपनी समस्याओं से जुडी जानकारी प्राप्त करें।