कैसा होगा विक्रम सम्वत् 2072

Ajay Kumar Tailang | 20-Mar-2015

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कैसे हुई सृष्टि की रचना ,
भूमण्डल पर होंगे कितने ग्रहण,
किस राशि पर लाभ तो किस राशि पर होगी हानि,
किन राशियों पर होगी शनि की दशा

विक्रम सम्वत् 2072 का आरम्भ दिनांक 21 मार्च 2015 से प्रारम्भ हो रहा है । इस दिन से ही नवरात्रा भी प्रारम्भ हो जाती है । चैत्र वदी अमावस्या के दूसरे दिन को ही चैत्र सुदी पडवा कहते हैं और उसी दिन से हिन्दू धर्म सनातन धर्म में हिन्दू कलैण्डर भी प्रारम्भ हो जाता है ।

  • इस दिन प्रातः ही नव मधुर वाणी में मंदिर देवाले सजाये जाते हैं और भगवान के सामने नीम और मिश्री का प्रसाद का भोग लगाते हैं।
  • इस सम्वत् का नाम कीलक रखा गया है । जो कि कील के माफिक चुभने वाला है । अर्थात् कभी खुशी तो कभी गम की स्थिति रहेगी साथ ही भूमण्डल पर कभी अच्छी वर्षा तो कभी हल्की वर्षा का योग बनेगा ।
  • सम्वत् से पूर्व सृष्टि की रचना हुई थी रचना के अनुसार भगवान ने ब्रहम देव की 100 वर्ष की दिव्य आयु बतायी है तथा ब्रहम देव के तप करने से ही सृष्टि की रचना हुई
  • इस सृष्टि रचना में सबसे पहले सतयुग, त्रेता , ़द्वापर और कलियुग चार युग की रचना की है ।
  • जिसमें सतयुग में दो देवता बताये गये हैं। नृसिंग और दूसरे वामन अवतार ।
  • त्रेता युग में श्री राम व परशुराम अवतार हुये ।
  • द्वापर युग में श्रीकृष्ण व बलराम अवतार हुये तथा
  • कलियुग में बुध अवतार और कल्कि अवतार हुये हैं।
  • जिसमें अभी बुध अवतार हो चुका है तथा कल्कि अवतार बाकी है ।
  • कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का है । अभी कलियुग को 5116 वर्ष हुये हैं।
  • कलियुग के समाप्त बाद सतयुग की प्रवृत्ति होगी । इस सम्वत् का राजा शनि है जो कि भूमण्डल पर निर्णय करने वाला है ।
  • जो जातक भूमण्डल जमाखोरी चोरी डकेती या छलकपट करते हैं उन्हें दण्डित किया जायेगा ।
  • इस वर्ष मंत्री का पद मंगल ग्रह को मिला है । जो अपनी प्रवृत्ति के अनुसार अस्त्र शस्त्र में उन्नति तथा सेना में बल उत्पन्न करेगा तथा भूमण्डल पर कहीं थोडी वर्षा तो कहीं तेज वारिश करायेगा ।
  • इस वर्ष रोहिणी का निवास समु्द्र स्थल पर है जिससे इस वर्ष कहीं कहीं तेज वारिश तो कहीं कहीं हल्की वारिश होने का योग बनेगा ।
  • इस वर्ष भूमण्डल पर पाॅच ग्रहण होंगे जिनमें मात्र दो ग्रहण भारत में दिखाई देंगे ।
  • इस वर्ष शनि की दशा पाॅच राशियों पर रहेगी जिनमें तुला, वृश्चिक, धनु राशि पर शनि की साढेसाती तथा मेष और सिंह रााशि पर शनि की ढैया दशा चलेगी ।
  • इस वर्ष मेष और सिंह राशि वालों को थोड़ा सावधान रहना जरूरी है । साथ ही तुला और वृश्चिक राशि वालों को शनि की साढेसाती से भी बचना जरूरी है क्योंकि शनि का कार्य न्यायाधीश का है जो जातक जैसा कार्य करेगा वैसा ही फल उसे मिलेगा । इस वर्ष आषाढ मास में अधिक मास भी पड रहा है । अधिक मास प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार पडता है । इस अधिक मास में 33 वस्तुऐ का दान होता है तथा मंदिर आदि में मनोरर्थ होते है ।

☆ इस वर्ष

  • सोमवती अमावस्या 3,
  • सोमवती पंचमी 2,
  • अंगारकीया चतुर्थी2,
  • बुधाष्टमी 3,
  • रविवारीय सप्तमी 2,
  • रविवारी दशमी 3 होगी ।

☆ इस वर्ष वर्षा

  • विश्वा 7, धान्य 15,
  • तृण 7, शीत 7,
  • तेज 17, वायु 13,
  • क्षय 15, वृद्धि 15
  • विग्रह 11, क्षुधा 13
  • तृष्णा 3, निद्रा 5,
  • आलस्य 7, उग्रता 13,
  • पाप 15, पुण्य 3,
  • व्याधि 1, व्याधिनाश 15,
  • आचार 15, अनाचार 3,
  • मृत्यु 17, जन्म 9,
  • देशोउपद्रव 15 , देशोस्वास्थ्य 3,
  • चैरभय 9, चैरभयनाश 1,
  • उदभिज 11, जरायुज 3
  • अण्डज 9, स्वेदज 15
  • इस वर्ष वृक्षलता पत्ते 5,
  • इस वर्ष मनुष्य गौ आदि वर्ग 3,
  • इस वर्ष पक्षी एवं विषजीव 15,
  • इस वर्ष खटमल दीपक मच्छर आदि कीट 13 जन्म लेंगे ।

☆राशि वालों को

  • इस वर्ष में मेष राशि वालों को 2 लाभ तथा 8 खर्च होंगे ।
  • वृष रािश वालों को 11 लाख तथा 14 खर्च होंगे ।
  • मिथुन राशि वालों को 14 लाभ तथा 11 खर्च होंगे ।
  • कर्क राशि वालों को 8 लाभ तो 11 खर्च होंगे ।
  • सिंह राशि वालों 11 लाभ तो 5 खर्च होंगे ।
  • कन्या राशि वालों 14 लाभ तो 11 खर्च होंगे ।
  • तुला राशि वालों 11 लाभ तो 14 खर्च होंगे ।
  • वृश्चिक राशि वालों को 2 लाभ तो 8 खर्च होंगे ।
  • धनु राशि वालों के लिए इस वर्ष 5 लाभ तो 14 खर्च होंगे ।
  • मकर राशि वालों को इस वर्ष 8 लाभ तो 8 खर्च होंगे ।
  • कुम्भ राशि वालों को 8 लाभ तो 8 खर्च होंगे ।
  • मीन राशि वालों के लिए 5 लाभ तथा 14 खर्च होंगे ।
  • इस प्रकार सम्वत् का असर भूमण्डल पर रहेगा साथ ही कहीं-कहीं शनि राजा व मंत्री मंगल होने से कहीं-कहीं देश विदेश में भूकंप भूखल्लन तथा ओलावृष्टि व अनावृष्टि भी होने की सम्मभावना है । जून माह में तेज गर्म हवा तथा तेज वारिश भी होने की सम्मभावना है ।