सुन्दर व स्वस्थ रहने के लिए टहलना ज़रूरी
Anamika Prakash Shrivastav | 22-Jun-2016
Views: 3421लगभग तीन दशक पहले जब मैं काॅलेज जा रही थी, तभी एक दिन रास्ते में, एक वृद्ध व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई, जो लहलहाते धान के खेतों के बीच संकरे रास्ते पर बड़ी तेजी से चला जा रहा था। उसके सिर के बाल रूई के समान सफेद व मुलायम थे। आंखें चमकदार थीं और वह अत्यंत सुडौल एवं स्वस्थ दिखलायी दे रहा था। चलते हुए हमने एक दूसरे का परिचय पूछा, हमने तमाम विषयों पर बातचीत की जैसे उनकी आयु, उनके विचार, विज्ञान और तकनीक इत्यादि।
उन सज्जन ने अपना नाम शंकर मेनन बतलाया। 78 वर्षीय शंकर मेनन फौज में एक अधिकारी थे। इस समय वे अवकाश प्राप्त कर शांतिमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
धीरे-धीरे हमारे सम्पर्क बढ़ते गये। जब भी उन्हें समय मिलता तो वे फौज के अपने रोचक किस्सों और अपने परिवार के बार में बतलाते।
दुर्भाग्य से शंकर मेनन की पत्नी और पुत्रवधू की एक जीप दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी थी। वे अपने दो छोटे पौत्रों के साथ स्वयं को व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं। उनका बेटा जीवन से पूरी तरह निराश हो चुका हैं। वे बिना किसी संकोच के अपनी तथा अपने परिवार की सारी बातें बतला देते थे। उन्होेने मुझे अपने घर आने के लिए आमंत्रित किया। उनका घर बड़े ही व्यवस्थित ढंग से सजा हुआ था।
शंकर के स्वास्थ्य और उनकी चुस्ती फुर्ती को देख कर मैने उनसे इसका रहस्य पूछा, तो वे बोले मैं नियमित रूप से व्यायाम करता हूं। हालांकि योगाभ्यास मैनें 45 वर्ष की आयु के बाद ही छोड़़ दिया हैं। हां, मानसिक स्वास्थ्य के लिए मैं प्रतिदिन शास्त्रीय संगीत और गायत्री मंत्र का पाठ करता हूं। उन्होंने बतलाया की टहलना उनका एक मनपसंद व्यायाम हैं और वे घंटों टहलना पसंद करते हैं। नियमित सैर से शरीर में स्फूर्ति और चुस्ती आती हैं तथा मानसिक शांति मिलती हैं। शंकर मेनन एक स्वतंत्र लेखक हैं। उन्होंने बतलाया कि अकसर टहलजते वक्त मेरे मन में नये-नये विचार आते रहते हैं, जिन्में मैं लेखनीबद्ध करने का प्रयास करता हूं। उनका सोचना हैं कि महान व्यक्ति सैर के समय ही महत्वपूर्ण बातों पर विचार करते हैं।
टहलना एक सरल व्यायाम हैं, जो शरीर को अधिकाधिक लाभ पहुंचाता हैं। क्योंकि इससे शरीर की सभी मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं। इस व्यायाम के लिए आयु या वर्ग की कोई निश्चित सीमा नहीं हैं। प्रत्येक उम्र के व्यक्ति इस व्यायाम से लाभ उठा सकते हैं तथा किसी भी समय टहला जा सकता हैं। वैसे आमतौर पर लोग पा्रतः या शाम को ही टहलना पसंद करते हैं। यदि टहलने के लिए बाग या अनुकूल स्थान नहीं मिले तो आप कमरे के अंदर भी टहल सकते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति अपने सामथ्र्य के अनुसार सैर की गति को कम या ज्यादा कर सकता हैं तथा उसका लाभ उठा सकता हैं।
ु प्रारम्भ में धीरे-धीरे और छोटे कदमों से टहलना चाहिए तथा ज्यादा लंबी दूरी नहीं तय करनी चाहिए। धीरे-धीरे गति और कदमों की संख्या बढ़ानी चाहिए। अधिकांश लोग औसत गति से टहलना पसंद करते हैं। यह औसत 4 या 5 मिलोमीटर प्रति घंटा की चाल हो सकती हैं। 45 वर्ष के आयु से अधिक व्यक्तियों को औसतन गति से टहलना चाहिए। तीव्र गति से टहलने के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती हैं, इसीलिए यह चर्बी को जलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। तेज टहलनेवाले व्यक्ति अच्छे धावक भी हो सकते हैं।
गति के अनुसार टहलने की क्रिया स्ट्रेलिंग यानी धीमी गति से चलना, सामान्य टहलना अथवा जाॅगिेग करना कहा जाता हैं।
बहुत धीमी गति से टहलना शांतचित्त स्थिति में होता हैं यहां तक कि लोगों को इसका ज्ञान भी नहीं होता। खरीददारी, किसी मित्र से मिलने जाना आदि इसी प्रकार के टहलने में शामिल किया जा सकता हैं। यदि इसे एक निर्धारित समय पर किया जाये तो यह बहुत अच्छा अभ्यास कहा जाता हैं। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता हैं और मस्तिष्क तनावरहित रहता हैं। जब दो मित्रों के बीच बातचीत की प्रक्रिया होती हैं तो इस समय इसका अभ्यास किया जा सकता हैं। पालतू जानवरों को घुमाते हुए भी यह प्रक्रिया प्रयोग में लायी जा सकती हैं। कमजोर, वृद्ध तथा बीमार व्यक्तियों के लिए स्ट्रेलिंग एक अच्छा व सरल व्यायाम तथा महत्वपूर्ण अभ्यास हैं। इसमें शरीर की सभी मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता हैं।
टहलना
आमतौर पर इसका अभ्यास लोग व्यावहारिक उद्देश्यों से करते हैं। इसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी सुविधानुसार गति व तरीके अपनाते हैं। यदि प्रतिदिन नियमित रूप से एक घंटे तक इसका अभ्यास किया जाये तो शरीर का भार नियंत्रित हो सकता हैं अपनी क्षमता व समय के अनुरूप ही किसी व्यक्ति को टहलना चाहिए।। एक सामान्य व्यक्ति अधिक से अधिक 7 किलोमीटर तक चल सकता हैं। सीढ़़ी चढ़ सकता हैं तथा वाहन के बजाये यह अपने पावों का भी इस्तेमाल कर सकता हैं।
जाॅगिग
जाॅगिंग आज का सर्वत्र लोकप्रिय व्यायाम कहा जा सकता हैं। इसमें तेज गति होती हैं। शरीर के प्रत्येक भागों का लयबद्ध व्यायाम हो जाता हैं। कुछ लोग इसे धीरे-धीरे दौड़ने की क्रिया भी कह सकते हैं। किसी भी आयु के व्यक्ति जाॅगिग कर सकते ळैं, किंतु जो व्यक्ति 40 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं उन्हें इस व्यायाम को अपनाने से पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। जाॅगिंग अपेक्षाकृत अधिक लाभदायक व्यायाम माना जाता हैं तथा यह शरीर के वजन को भी शीघ्र कम करता हैं। जाॅगिंग के साथ-साथ फेफड़े और पेट की मांसपेशियों का भी व्यायाम हो जाता हैं
टहलने से लाभ
इस व्यायाम में किसी प्रकार के खर्च की आवश्यकता नहीं होती हैं। हां, पर्यापत समय का होना आवश्यकत हैं तथा एकाग्रमन से टहलने से अच्छी सफलता मिलती हैं। इससे होनेवाले कुछ लाभी इस प्रकार हैं -
- नियमित टहलने से पैर की मांसपेशियों, हाथों तथा पेट और छाती को सही बल और आकार मिलता हैं।
- क्रमशः अभ्यास से मस्तिष्क को आराम मिलता हैं तथा तनाव कम होता हैं। यह उच्च रक्तचाप को कम करता हैं।
ऽ अधिक समय तक टहलने से मधुमेह, हृदय रोग और रक्तचाप नियंत्रित होता हैं।
- टहलने से आंखों की रोशनी तेज़ होती हैं।
- प्रकृति की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी टहना एक अच्छा माध्यम होता हैं।
- कहा जाता हैं कि प्रकृति से विशेष लगाव रखनेवाला ही एक अव्छा लेखक, कुशल संगीतज्ञ तथा उच्चकोटि का कलाकार होता हैं। इस नजरिये से भी टहलना लाभप्रद होता हैं
- नियमित टहलने से पाचन क्रिया सुचारू रूप से होती हैं।
- टहलते समय विचारों का आदान-प्रदान होता हैं।
- नियमित टहलनेवाला व्यक्ति जल्दी थकावट का अनुभव नहीं करता। वृद्धावस्था भी जल्दी उसके पास नहीं फटकतही।
- टहलने की आदत होने से व्यक्ति यथासंभव वाहनों का प्रयोग नहीं करते हैं, जिससे आर्थिक बचत होती हैं।
- टहलने की योजना बनाते हुए सबसे पहले आवश्यकता होती हैं एक सर्वोपयोगी रास्ते की, जो वाहनों के प्रदूषण से मुक्त हो तथा हरी भरी वनस्पतियों, खुली एवं स्वच्छ वायु से युक्त हो। यदि आप किसी बड़े शहर अथवा महानगर में रहते हैं तो इसके लिए आवश्यक हैं समुद्र का किनारा या फिर बड़ा मैदान अथवा हरा भरा बगीचा।
टहलना शुरू करने के प्रारम्भिक चरणों में पैर की मांसपेशियों में दर्द उठ सकता हैं, किंतु ज्यों-ज्यों आप अभयस्त होते जायेंगे त्यों-त्यों सब ेकुछ सामान्य होता जायेगा।
यदि टहलने के ढंग और गति से आप परिचित नहीं हैं तो नियमित टहलनें से आप खुद-ब-खुद सारी बातों से अवगत हो जायेंगे, चूंकि यह क्रिया हर व्यक्ति में अलग-अलग ढंग से होती हैं। अतः इसकी ट्रेनिंग नही दी जा सकती।