यदि कुंडली में है पंच महापुरूष योग तो जीवन में मिलेगी उन्नति और प्रतिष्ठा

Indian Astrology | 13-Mar-2020

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मनुष्य का जिस समय पृथ्वी पर जन्म होता है, उस वक्त से ही उसकी कुंडली तय हो जाती है। कई विद्वान कहते हैं कि कर्म ही मनुष्य के जीवन की राह और भाग्य तय करता है, लेकिन ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुछ लोग अपना भाग्य जन्म के समय से ही लिखा कर आते हैं। ये वो लोग होते हैं जिनकी कुंडली में कुछ खास योग बनते हैं। ज्योतिष ग्रंथों में वैसे तो ग्रहों से बनने वाले अनेकों योगों का वर्णन मिलता है, पर उन में से कुछ योग पूर्णतया व्यवहारिक और आज के समय के मुताबिक भी सटीक फल देते हैं| पंच महापुरूष योग जातक को धनवान पराक्रमी यशस्वी एवं प्रतिभाशाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह योग जितना प्रभावशाली है उतना अनूठा और असाधारण भी। यह योग कुंडली में आसानी से देखने को नहीं मिलता। बहुत कम लोगों की कुंडली में यह पाया जाता है। पंच महापुरूष योग अलग-अलग पांच ग्रहों के द्वारा अलग अलग पांच प्रकार के लक्षणों के प्रकट होने के कारण इनको पंच महापुरूष योग कहते हैं|

पंच महापुरुष योग-

पंच महापुरुष योग जन्मकुंडली में पांच महत्वपूर्ण योगों के होने से बनता है, रूचक, भद्र, हंस, मालव्य और शश, ये योग क्रमश: मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रहों के कारण बनते हैं, अर्थात मंगल रूचक योग बनाते हैं तो बुध भद्र नामक योग का निर्माण करते हैं वहीं बृहस्पति से हंस योग बनता है तो शुक्र से मालव्य एवं शनि शश योग का निर्माण करते हैं। इन पांचों योगों को ही पंच महापुरुष योग कहा जाता है। यह योग जितना प्रभावशाली है उतना अनूठा और असाधारण भी, यह योग कुंडली में आसानी से देखने को नहीं मिलता, बहुत कम लोगों की कुंडलियों में यह पाया जाता है|

रुचक योग-

यदि जन्मकुंडली में पराक्रम के कारक मंगल अपनी स्वराशि मेष या वृश्चिक या उच्च राशि मकर में स्थिर हो और जन्म कुंडली के केंद्र अर्थात पहले, चौथे, सातवें, और दशवें स्थान में हों तो रूचक महापुरुष योग का निर्माण होता है| इस योग में जो भी व्यक्ति जन्म लेता है वह अत्यधिक साहसी होता है, ऐसे जातक अपने बल, बुद्धि और ऊर्जा का इस्तेमाल सकारात्मक कार्यों में करते हैं। इन्हें शत्रुओं का कोई भय नहीं होता, इनमे पाए जाने वाले गुणों की वजह से यह धन, पद व प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं, संसार में इन्हें प्रसिद्धि प्राप्त होती है|

भद्र योग-

जब जन्मकुंडली में बुद्धि के कारक बुध अपनी स्वराशि मिथुन या कन्या में स्थित होकर जन्म कुंडली में केंद्र स्थान में हों तो भद्र नामक महापुरूष योग बनता है, यदि किसी व्यक्ति का जन्म इस योग में होता है, तो वह रचनात्मक कार्यों में अधिक रूचि लेते हैं, वे अच्छे वक्ता, लेखक आदि हो सकते हैं। इनके व्यवहार में ही भद्रता झलकती है, यह बुद्धिमान, श्रेष्ठ वक्ता, वैभवशाली और उच्च पद को प्राप्त करते हैं|

हंस योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ज्ञान के कारक गुरु अपनी स्वराशि मीन या धनु अथवा उच्च राशि कर्क में होकर केंद्र स्थान में हों तो हंस नामक महापुरूष योग बनता है, हंस योग जिनकी कुंडली में होता है, वे बहुत ही ज्ञानी, आध्यात्मिक और ईश्वर की विशेष कृपा पाने वाले होते हैं। इनकी समाज में मान-प्रतिष्ठा होती है। ऐसे व्यक्ति अपने ज्ञान और बुद्धि के बल पर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं, इनके स्वभाव में संयम और परिक्वता झलकती है। समस्याओं का समाधान ढूंढने में इन्हें महारत हासिल होता है। ये बहुत अच्छे शिक्षक और प्रबंधक की भूमिका निभा सकते हैं।

मालव्य योग-

जब जन्मकुंडली में ऐश्वर्य के कारक शुक्र अपनी स्वराशि वृष, तुला अथवा उच्च राशि मीन में होकर केंद्र स्थानों में स्थित हो तो मालव्य नामक महापुरूष योग बनता है, ऐसे व्यक्ति सुख-समृद्धि से संपन्न होते हैं। इनका रूझान कलात्मक और रचनात्मक कार्यों के प्रति अधिक होता है। माता लक्ष्मी की इन पर विशेष अनुकम्पा होती है। सम्पूर्ण भौतिक सुखों का आनंद लेते हैं। दांपत्य जीवन का सुख भी इन्हें खूब मिलता है, और ऊंचाइयों को प्राप्त करते हैं|

शश योग-

कुंडली में शश योग न्याय के कारक शनि की स्थिति से बनता है, जब शनि अपनी स्वराशि मकर या कुंभ अथवा उच्च राशि तुला में हो और कुंडली के केंद्र स्थान में स्थित हो तो शश नामक महापुरूष योग बनता है। वे उच्च पदों पर आसीन होते हैं। इनकी समझ काफी गहरी होती है। ऐसे लोगों में राजनेता के गुण होते हैं और वह एक दिन राजनेता बनते भी हैं, ये लोग न्याय प्रिय होते हैं, आम जन के बीच भी इन्हें काफी प्रसिद्धि मिलती है। ये कर्तव्यनिष्ठ और कर्मठ व्यक्तित्व के धनी होते हैं।

यह पंच महापुरुष योग कुछ प्रसिद्ध लोगों की कुंडली में भी पाया गया है जैसे – लाल बहादुर शास्त्री, जवाहर लाल नेहरू, विल गेट्स, जय ललिता, शाहरुख खान, सलमान खान, माधुरी दीक्षित आदि। यह योग कुंडली में जितना अधिक प्रभावी व मजबूत होगा जातक उतना ही अधिक भाग्यशाली एवं उच्चकोटि की ख्याति प्राप्त व्यक्ति होगा।

कब सम्पूर्ण प्रभाव नहीं दे पाता, पंच महापुरुष योग-

यदि आपकी कुंडली में इन पंच महापुरुष योगों में से कोई योग बन रहा है, लेकिन उसका कोई सकारात्मक प्रभाव आप अपने जीवन में नहीं देख पा रहे हैं तो उसके पीछे भी कारण हैं। इस अवस्था में यह संभव है कि इन योगों पर पाप ग्रहों की कुदृष्टि पड़ रही हो। यदि इन अवस्थाओं में राहू केतु जैसे ग्रहों की युति हो या दृष्टि सम्बन्ध बन रहा हो तो यह योग निष्प्रभावी रहने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। और यदि पंच महापुरुष योग बना रहा ग्रह पाप कर्त्री योग में हो अर्थात पाप ग्रहों के मध्य में स्थित हो ऐसी अवस्था में भी पंच महापुरुष योग निष्फली हो जाता है| वहीं अगर एक से अधिक पंचमहापुरुष योग किसी जातक की कुंडली में बन रहे हों तो उस जातक की कुंडली में विशिष्ट राजयोग का निर्माण भी करते हैं। आपकी कुंडली में पंच महापुरुष योग है या नहीं यदि है तो कहीं क्रूर ग्रहों की नज़र तो नहीं पड़ रही जानने के लिये फ्यूचर पॉइंट के माध्यम से अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाएं और अपनी समस्याओं का समाधान पाएं.